top header advertisement
Home - राष्ट्रीय << ISRO आज करेगा DRDO के सैटेलाइट का प्रक्षेपण, 2 उपग्रह छोड़े जाएंगे

ISRO आज करेगा DRDO के सैटेलाइट का प्रक्षेपण, 2 उपग्रह छोड़े जाएंगे



चेन्नई। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सैटेलाइट के प्रक्षेपण के लिए 16 घंटे की उल्टी गिनती (काउंटडाउन) शुरू हो गई है। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी 44 रॉकेट से दो सैटेलाइट गुरुवार की रात छोड़े जाएंगे। इनमें डीआरडीओ का इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसैट आर और छात्रों का सैटेलाइट कलामसैट शामिल है।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधन संगठन (इसरो) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से बुधवार शाम सात बजकर 37 मिनट पर काउंटडाउन शुरू हुआ। प्रक्षेपण का समय गुरुवार की रात 11 बजकर 37 मिनट तय किया गया है। अधिकारी के मुताबिक पीएसएलवी के एक नए प्रकार के रॉकेट के जरिए 700 किलोग्राम के दोनों उपग्रहों को छोड़ा जाएगा। इसरो के चेयरमैन के सिवान ने पहले बताया था कि वजन को कम करने और पिंड के आकार को बढ़ाने के लिए एल्यूमीनियम के टैंक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कलामसैट एक पेलोड है, जिसे छात्रों और स्थानीय स्पेस किड्स इंडिया ने मिलकर विकसित किया है। पीएसएलएवी में ठोस और तरल ईंधन से चलनेवाले चार स्तरीय रॉकेट इंजिन लगा है। इसे पीएसएलवी-डीएल नाम दिया गया है। पीएसएलवी-डीएल के नए प्रकार के रॉकेट पीएसएलवी-सी44 का यह पहला अभियान है।

पीएसएलवी-सी44 उड़ान भरने के लगभग 14 मिनट बाद इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसैट आर को यह 277 किलोमीटर की ऊंचाई पर अलग कर देगा। अलग होने के बाद यह लगभग 103वें मिनट में 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचकर काम करना शुरू कर देगा। कलामसैट सैटेलाइट रॉकेट के चौथे चरण को कक्षीय प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल करेगा। रॉकेट अपने चौथे चरण में कलामसैट को अत्यधिक ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित कर देगा, जहां से वह परीक्षण कार्यों को अंजाम देगा।

स्पेस किड्स इंडिया की संस्थापक और सीईओ श्रीमती केसन ने बताया कि कलामसैट एक नैनो सैटेलाइट है। बेलन के आकार के इस सैटेलाटइट का कुल वजन मात्र 1.2 किलोग्राम है। इसको तैयार करने में भी मात्र 12 लाख रुपये की लागत आई है।

Leave a reply