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केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को मिली बड़ी सौगात, मिला 7वां वेतनमान


केंद्र सरकार ने मंगलवार को सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी सौगात दी है। सरकार ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है।

इस प्रस्ताव को मंजूरी के बाद केंद्र सरकार पर 1241.78 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इससे देश भर में कर्मचारियों का एक बड़ा तबका लाभान्वित होगा।

आइये समझते हैं कि इस मंजूरी के क्‍या मायने हैं, इसके लाभ के दायरे में कौन आते हैं और कर्मचारियों के लिए यह क्‍यों अहम है।

1. इस मंजूरी का लाभ देश भर में शासकीय एवं शासकीय अनुदान प्राप्‍त शिक्षकों को मिलेगा। तकनीकी संस्‍थानों के डिग्री स्‍तर के कर्मचारी भी इसके पात्र होंगे।

2. खास बात यह है कि अन्‍य शैक्षणिक कार्यों में नियोजित कर्मचारी भी अब इस लाभ के दायरे में होंगे।

3. केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी से पहले कुछ राज्‍य वेतन आयोग की सिफारिशों को अपने राज्‍यों में लागू कर चुके हैं। महाराष्‍ट्र सरकार ने हाल ही में अपने 17 लाख कर्मचारियों को इसका लाभ देने की घोषणा की थी।

4. वे कर्मचारी जो रिटायर्ड हैं, उन्‍हें अब सातवें वेतन आयोग के अनुसार पेंशन का भुगतान मिलेगा। इसका एक उदाहरण लखनऊ नगर निगम का है जहां प्रशासन ने 2019 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार पेंशन का लाभ दिया जो कि पिछली पेंशन के मुकाबले तीन गुना है।

5. इस प्रस्‍ताव की मंजूरी से 68 लाख केंद्रीय कर्मचारी लाभान्वित होंगे। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले यह पीएम मोदी का सरकारी कर्मचारियों को दिया गया तोहफा है।

क्‍या है सातवां वेतन आयोग
केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 28 फ़रवरी 2014 को सातवें केन्‍द्रीय वेतन आयोग की रूपरेखा को मंजूरी दी। इस संबंध में वेतन, भत्‍तों और अन्‍य सुविधाओं को ध्‍यान में रखकर रूपरेखा तैयार की गई। इसमें औद्योगिक और अनौद्योगिक केन्‍द्रीय सरकार के कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवाओं के कर्मी, केंद्रशासित प्रदेशों के कर्मी, भारतीय लेखा एवं परीक्षण विभाग के अधिकारी एवं कर्मी, रिजर्व बैंक को छोड़कर संसद अधिनियम के तहत गठित नियामक संस्‍थाओं के सदस्‍यों तथा उच्‍चतम न्‍यायालय के अधिकारियों एवं कर्मियों को शामिल किया गया है।

7वें वेतन आयोग द्वारा प्रमुख सिफारिशें क्या थीं
7वें वेतन आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार, न्यूनतम मजदूरी 18,000 रुपए करने का फैसला किया गया था। वहीं, उच्चतम स्तर के अधिकारियों का मूल वेतन 2,50,000 रुपये प्रति माह माना गया था। ये वेतन असंतोषजनक फिटमेंट फैक्टर के अनुसार तैयार किया गया था। केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने मांग की थी कि न्यूनतम वेतन को 18,000 रुपए से बढ़ाकर 26000 रुपए किया जाए।

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