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यूपी में योगी सरकार वसूलेगी Cow Cess, किसानों को राहत देने की कवायद


लखनऊ। सड़क पर भटकते जानवरों से आम लोगों के अलावा किसान भी परेशान हो जाते हैं। यूपी में योगी सरकार ने इसे निपटने के लिए नया उपाय निकाला है। इसके तहत राज्य सरकार प्रदेश में काउ सेस लगाने की तैयारी में है।

खबरों के अनुसार सरकार प्रदेश के सभी ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में 'अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना और संचालन नीति लागू की जा रही है। मंगलवार को कैबिनेट ने इस नीति को मंजूरी दे दी। इसके तहत ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल खोले जाएंगे। इस मद में व्यय के लिए सरकार विभिन्न निधियों से धन जुटाएगी और उपकर भी वसूल करेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में संपन्न कैबिनेट की बैठक में पांच प्रस्तावों को मंजूरी मिली। राज्य सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा तथा पशुधन विकास मंत्री एसपी सिंह बघेल ने पत्रकारों को बताया कि बैलों के जरिये खेती की परंपरा समाप्त होने की वजह से किसान बछड़ों को छुट्टा छोड़ देते हैं। ऐसे पशु फसलों को क्षति पहुंचाते हैं। सड़कों पर इनकी मौजूदगी से मार्ग दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं। इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गोवंश का संरक्षण होगा लेकिन, हमे गोकशी स्वीकार नहीं है।

आश्रय स्थलों में सरंक्षित गोवंश को पशुपालन विभाग की सेवाएं उपलब्ध कराये जाने के साथ ही गोवंश से उत्पादित दूध, गोबर, कम्पोस्ट आदि की बिक्री से आश्रय स्थलों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जाएगा। अभी तक सरकार द्वारा प्रतिदिन पंजीकृत गोशालाओं में 30 रुपये प्रति गाय के हिसाब से अनुदान दिये जा रहे थे लेकिन, ये उपाय पूरे नहीं थे। गोवंश आश्रय स्थल के लिए एनजीओ और ट्रस्ट को भी सरकार सहूलियत देगी।
कई सरकारी विभागों से लेंगे गो कल्याण सेस

निराश्रित गोवंश के आश्रय में सरकार को आर्थिक संकट न हो, इसके समाधान के लिए सरकारी विभागों की आमदनी से अतिरिक्त सेस वसूलने का फैसला किया गया है। मंडी परिषद पहले एक प्रतिशत शुल्क देता था लेकिन, अब दो प्रतिशत वसूल होगा। इससे सरकार को 34 करोड़ रुपये की आय होगी। इसके अलावा आबकारी विभाग से भी दो प्रतिशत अतिरिक्त सेस लिया जाएगा।
इसके अलावा राजकीय निर्माण निगम, सेतु निगम, यूपीएसआइडीसी जैसी संस्थाओं को होने वाली आमदनी का 0.5 प्रतिशत, राज्य सरकार के अधीन यूपीडा आदि संस्थाओं द्वारा वसूले जा रहे टोल टैक्स में 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त धनराशि गो कल्याण सेस के रूप में वसूल होगी। आश्रय स्थल निर्माण में समस्त मिट्टी का कार्य मनरेगा से किया जाएगा।

सांसद, विधायक समेत कई निधियों से होगा संचालन
अस्थायी आश्रय स्थलों की स्थापना के लिए सांसद, विधायक, मनरेगा समेत कई निधियों से धनराशि व्यय होगी। वित्त पोषण ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत निधि के अलावा नगर निकायों, वित्त आयोग, खनिज विकास निधि, रायफल निधि, सांसद क्षेत्र विकास निधि, विधायक निधि से होगा। संरक्षित गोवंश के संचालन, प्रबंधन व भरण-पोषण की व्यवस्था स्थानीय निकायों द्वारा यथा संभव अपने संसाधन से कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने स्थानीय निकायों को इस मद में सौ करोड़ रुपये दिए हैं।

हर जिले में एक हजार निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय
श्रीकांत शर्मा ने बताया कि हर जिले में कम से कम एक हजार निराश्रित, बेसहारा गोवंश पशुओं के लिए खोले जाने वाले आश्रय स्थल के निर्माण में सरकारी विभागों द्वारा सहयोग किया जाएगा। सरकार कांजी हाऊस की परंपरा को पुनर्जीवित करेगी। नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में पिंजरापोल व कांजी हाऊस खुलेंगे और इनमें केयर टेकर, पर्यवेक्षण अधिकारी की अस्थायी व स्थायी व्यवस्था की जाएगी।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनेगी स्टेट कमेटी

आश्रय स्थलों के संचालन के लिए प्रदेश स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्टेट स्टेयरिंग कमेटी बनेगी। इस कमेटी के निर्देशानुसार ब्लाक स्तर पर बीडीओ, तहसील स्तर पर एसडीएम, जिला स्तर पर डीएम और मंडल स्तर पर कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित कमेटी कार्य करेगी।

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