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अनुयोगाचार्यश्री वीररत्नविजयजी ने किया मंगल प्रवेश, आज निकलेगा छःरी पालित पैदल यात्री संघ


 
उज्जैन। जैन धर्मावलंबी के 11 कर्तव्यो में से एक कर्तव्य है तीर्थ यात्रा। सामूहिक तीर्थयात्रा करते हुए दर्शन, वंदन, पूजन से मन की मलिनता दूर होती है और स्वस्थ, स्वच्छ मन का निर्माण होता है। तीर्थ यात्रा से संसार की यात्रा समाप्त होती है। 
यह विचार मंगलवार को अनुयोगाचार्यश्री वीररत्नविजयजी मसा ने संघपति मांगीलाल ओंकारलाल गांवड़ीवाला के सूरजनगर स्थित निवास पर अपने मंगल प्रवेश उपरांत आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि छःरी पालित पैदल यात्रा से परमात्म भक्ति, गुरू भक्ति व साधार्मिक भक्ति का लाभ मिलता है। परमात्मा के प्रति सच्चा प्रेम आत्म विकास का प्रथम चरण है। जगत को खुश करना है तो राग और जगतपति को खुश करना है तो अनुराग (भीतर से प्रेम) चाहिये। उसके पूर्व दौलतगंज स्थित कांच के जैन मंदिर से बैंडबाजे के साथ साधु-साध्वी मंडल का जुलूस प्रारंभ हुआ जो सखीपुरा आदि क्षेत्रों से होकर धर्मसभा में पहुंचा। यहां संघ पूजन की गई। मयूर जैन ने बताया कि बुधवार सुबह 5.30 बजे संघ के करीब 300 यात्री कामितपूरण पार्श्वनाथ मंदिर उन्हेल के लिए सूरजनगर से प्रस्थान कर श्री अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ में दर्शन, वंदन व नवकारशी करेंगे। यहां से सुबह 9 बजे भैरवगढ़ स्थित श्री माणिभद्रवीर तीर्थ पहुंचकर पूजन, दर्शन, चैत्यवंदन कर ग्राम रामगढ़ स्थित सेनापति फार्म हाउस पहुंचेंगे। तीन दिवसीय संघ का समापन 28 दिसंबर को होगा। इस दौरान पारस मारू, बाबूलाल जैन बिजलीवाला, संजय जैन ज्वेलर्स, महेन्द्र नाहर, संजय जैन खलीवाला, हस्तीमल नाहर, संजय खेमसरा, राकेश नाहटा आदि समाजजन उपस्थित थे। 

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