शायर महमूद जकी मालवा की उर्दू शायरी के देदीप्यमान नक्षत्र
जकी जयंती पर ‘गुलहाए अकीदत’ प्रोग्राम हुआ
उज्जैन। उज्जैन में जन्मे शायर एवं साहित्यकार महमूद जकी ने उर्दू साहित्य में अपनी सृजनशीलता से विशिष्ट पहचान निर्मित की है। आज उनकी शायरी, उनकी गजलें, नज्में और गीत उनकी अनूठी शैली से जाने जाते हैं। शायर महमूद जकी मालवा की उर्दू शायरी के देदीप्यमान नक्षत्र हैं, वे मालवा के गालिब कहे जा सकते हैं।
यह उद्गार माधव कॉलेज के भाषा परिवार द्वारा जकी जयंती पर ‘गुल हाए अकीदत’ प्रोग्राम को संबोधित करते हुए उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ. गुलाम हुसैन ने व्यक्त किये। प्रोग्राम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वक्त ने कहा कि जकी साहब शायर के रूप में प्रतिष्ठित हैं उन्होंने अपनी जन्मभूमि के प्रति उज्जैन का तराना लिख कर प्रेम व्यक्त किया है। वे उर्दू पत्रकारिता के नगर में पहले पत्रकार थे। उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. हेमंत नामदेव ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मेरे उनसे व्यक्तिगत एवं पारिवारिक संबंध रहे। उन्होंने जीवन के संघर्षों के बीच सृजन कर्म किया और अपने बच्चों को भी संस्कारित किया। शायर महमूद जकी के चित्र पर अतिथियों सहित उपस्थितजनों ने पुष्प अर्पित किये। प्रोग्राम में अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. राजश्री सेठ, डॉ. एल.एस. गोरास्या, डॉ. दिनेश जोशी, डॉ. सुरेश मकवाना, डॉ. वीएस अखंड, डॉ. रूबीना अर्शी, डॉ. आर.एस. विद्यार्थी सहित उर्दू विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। संचालन डॉ. जफर महमूद ने किया एवं आभार संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. आर.सी. शर्मा ने माना।