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हम मेहनती, कठोर दिनचर्या से दूर इसलिए बीमार बने रहते हैं


चिकित्सा सेवा ईकाईद्वय फिजियोथेरेपी और होम्योपेथी केन्द्रों का एक वर्ष पूर्ण होने पर मनाया स्थापना दिवस

उज्जैन। वर्तमान में हम अपने पुरखों की दी हुई मेहनती और कठोर दिनचर्या से दूर होते जा रहे हैं इसीलिए बीमार बने रहते हैं। वहीं कठिन दिनचर्या चिकित्सा विज्ञान के रूप में हमारे बीच होम्योपेथी, नेच्युरोपेथी, न्युरोपेथी, फिजियोथेरेपी, पंचकर्म आदि नाम से प्रचलित हुई हैं। इन पध्दतियों के माध्यम से एलोपेथी चिकित्सा से परे जाकर धीरे-धीरे बीमारियों की जड़ों को समाप्त करने का काम किया जा रहा है।

उक्त बात माधव सेवा न्यास द्वारा सेवा प्रकल्पों की श्रृंखला में चिकित्सा सेवा ईकाईद्वय फिजियोथेरेपी और होम्योपेथी केन्द्रों का एक वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अनिल जैन कालूहेड़ा ने कही। आपने जैन संत का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी जीवनचर्या इतनी कठोर होती है जिससे हजारों में से किसी एक को वर्ष में थोड़ा बहुत बुखार आता है अन्यथा उनकी कठोर दिनचर्या के कारण बीमारी कोसो दूर फटकती भी नहीं। अध्यक्षता होम्योपेथी चिकित्सक डॉ. वत्सराज व्यास ने की। इस अवसर पर न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद शर्मा, चिकित्सा केन्द्रों में सेवारत चिकित्सक डॉ. प्रियंका पाल (फिजियोथेरेपी), डॉ. राजेश चौरसिया (होम्योपेथी) मंच पर उपस्थित रहे। न्यास की सेवा गतिविधियों, सेवा प्रकल्पों का संक्षिप्त परिचय न्यास के महाप्रबंधक लखन धनगर ने करवाया। उपस्थित जनसमुदाय ने अपने स्वास्थ्य संबंधित जिज्ञासाएं प्रकट की जिनका डॉ. द्वय ने मंच से ही संवाद कर समाधानकारक मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर दिव्यांग बहन गर्विता ने अपने कोकिला कंठ से सुमधुर गीत गाकर अपनी अनन्य प्रतिभा का परिचय दिया, मंत्रमुग्ध अतिथियों ने गीत के अंत में गर्विता को स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम के अंत में समस्त चिकित्सा समूह को न्यास की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किये। आभार श्री महाकालेश्वर भक्त निवास के प्रबंधक सुमित बुआ ने माना। 

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