कला साधकों की तपस्या का सम्मान कर प्रारंभ किया 23वां अंतरराष्ट्रीय कलापर्व
विद्यार्थियों के बीच कला के आदान प्रदान हेतु ऐसा आयोजन हर प्रदेश में हो- पाल कोली
उज्जैन। 23वें अंतरराष्ट्रीय कलापर्व का रंगारंग शुभारंभ कला साधकों की तपस्या का सम्मान करते हुए विशेष अलंकरण अनुष्ठान के साथ शुक्रवार शाम 6.30 बजे हुआ। उद्यन मार्ग स्थित आनंद मंगल परिसर में आयोजित कला पर्व में इस वर्ष 100 से अधिक विद्यार्थी चित्रकारों सहित लगभग 60 वरिष्ठ चित्रकार 4 दिवसीय कलापर्व में अपने कला सृजन से कला रसिकों को सम्मोहित करेंगे।
न्यास के सचिव पवन गरवाल एवं संयोजिका डॉ. परिधि काले ने बताया कि कलावर्त न्यास द्वारा डीएचएल इन्फ्राबुल प्रा. लि. इंदौर तथा कोकुयो केम्लिन लि. मुंबई द्वारा 21 से 24 दिसंबर तक आयोजित कला पर्व का शुभारंभ पटना के वयोवृध्द कलाकार श्याम शर्मा ने किया। समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृत विद्वान डॉ. मोहन गुप्त रहे। विशेष अतिथि डीएचएल इन्फ्राबुल चेयरमेन डॉ. संतोषसिंह थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता टेपा सम्मेलन के संस्थापक एवं न्यास संरक्षक डॉ. शिव शर्मा ने की। उद्घाटन पश्चात विशेष अलंकरण समारोह में न्यास द्वारा प्रतिवर्ष कला के क्षेत्र में प्रदान किये जाने वाले राष्ट्रीय अलंकरण के तहत मुंबई के पाल कोली को गुरू सांदिपनी राष्ट्रीय कला आचार्य सम्मान, नागपुर के रघु नेवरे को कलाकौस्तुभ सम्मान एवं नईदिल्ली के रंजन मलिक को राष्ट्रीय अभ्युदय सम्मान से नवाजा गया। इसके साथ ही 5 राज्यों के वरिष्ठ कलाविद् श्याम शर्मा पटना, विजयकुमार एस हैदराबाद, हिम चटर्जी शिमला, मोहम्मद ईशहाक लखनउ, अरविंद देसाई बड़ौदा, कनु पटेल आणंद को राष्ट्रीय स्वस्ति सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान के प्रति उत्तर में पाल कोली ने कहा कि कलावर्त न्यास जैसा आयोजन हर प्रदेश में होना चाहिये, बाहर के विद्यार्थियों के बीच कला का आदान प्रदान होगा।