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पाले से फसलों की सुरक्षा हेतु कृषि विभाग द्वारा सलाह दी गई


 

उज्जैन । किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा किसान भाईयों को सुरक्षा एवं सतर्कता हेतु सलाह दी गई है। कृषि विभाग ने कहा है कि किसान पाले का पूर्व अनुमान लगाते हुए बचाव के उपाय करें।

उप संचालक कृषि श्री सीएल केवड़ा ने पाले के बारे में बताया कि जिस दिन आकाश पूर्णत: साफ हो, वायु में नमी की अधिकता हो, कड़ाके की सर्दी हो, सायंकाल के समय वायु में तापमान कम-ज्यादा हो एवं भूमि का तापमान जीरो डिग्री सेंटीग्रेड अथवा इससे कम हो जाये, तो ऐसी स्थिति में हवा में विद्यमान नमी, जलवाष्प संघनिकृत होकर ठोस अवस्था बर्फ में परिवर्तित हो जाती है, जिससे पौधों की पत्तियों की कोशिका भित्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है। पौधों की जीवन प्रक्रिया के साथ-साथ उत्पादन भी प्रभावित होता है।

उप संचालक ने कहा कि पाले से बचाव के लिये रात में खेत में 6-8 जगह धुंआ करना चाहिये। धुंआ इस प्रकार किया जाना चाहिये, जिससे धुंआ सारे खेत में छा जाये तथा खेत के आसपास का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक आ जाये। इस प्रकार धुंआ करने से पाले से फसल का बचाव किया जा सकता है। पाले की संभावना पर हल्की सिंचाई, जिससे कि खेत गीला हो जाये, कर देना चाहिये। इसी तरह रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिये दो व्यक्ति सुबह-सुबह जितनी जल्दी हो सके, एक लम्बी रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़कर खेत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जाते हैं। इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है और फसल की पाले से रक्षा हो जाती है।

रसायन से पाला नियंत्रण

वैज्ञानिकों द्वारा रसायनों का उपयोग करके भी पाले को नियंत्रित करने सम्बन्धी प्रयोग किये गये हैं। इसमें क्लोरोथाईल ट्रायमिथाईल अमोनियम क्लोराईड का 0.03 प्रतिशत घोल, एनडाइमिथाईल अमिनोसक्सिनिक एसीड का 0.01 प्रतिशत घोल, घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत का घोल, घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत+बोरान 0.1 प्रतिशत एवं गंधक के एक लीटर तेजाब को एक हजार लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना, उक्त उपायों में से कोई एक के प्रयोग से लगभग दो सप्ताह तक फसल पाले के प्रकोप से मुक्त रहती है। उक्त रसायनों का उपयोग अत्यन्त सावधानीपूर्वक एवं कृषि विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिये।

 

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