अन्याय बढ़ता है जब-सदाचार चुप रहता तब, श्री हरिहरानंद आश्रम बैकुंठ धाम में मना गीता जयंती समारोह
उज्जैन। जहाँ बोलना चाहिए वहाँ नहीं बोलने के कारण ही समाज में अनेकानेक समस्याएं बड़ रही हैं। सभाओं-गोष्ठियों में मुंह देखी बात की जाती है, अपनी भूमिका का सम्यक निर्वहन नहीं करने बाले भीष्म और धृतराष्ट्र की वृत्ति के व्यक्ति हैं। अनाचार सदाचार के चुप रहने के कारण ही बड़ता है। अतः हम सभी सुधि जनों से यही अनुरोध करते हैं कि आप स्वयं को श्री कृष्ण की तरह समाज से अत्याचार और अनाचार को रोकने के लिए प्रस्तुत करें।
यह विचार लोकमान्य तिलक महाविद्यालय के प्राचार्य गोविंद गंधे ने श्री हरिहरानंद आश्रम बैकुंठ धाम संतनगर में गीता जयंती समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। युग गीता स्वाध्याय मंडल उज्जैन के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में मानस मर्मज्ञ डॉ. जे.पी. विजयवर्गी ने बताया कि गीता को केवल कर्मयोग के ग्रंथ के रूप में जाना जा रहा है जबकि यह समग्र जीवन विद्या है। वेद मर्मज्ञ राजेन्द्र व्यास ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उपदेश जिसके लिए जिस संदर्भ में दिया जाता है उसी के लिए उपयुक्त होता है। आपने स्वाध्याय मंडल के वरिष्ठ सदस्य रमेश चंद्र लेबे वानप्रस्थी के जन्मदिन के अवसर पर वेद मंत्रों से शुभाशीष दिया। गौरीशंकर उपाध्याय ने कविता पाठ के माध्यम से गीता जी की महत्ता बताई। समारोह का संचालन रमेश लेवे ने किया अंत में जे. सी. श्रीवास ने आभार व्यक्त किया। युग गीता स्वाध्याय मंडल सचिव आर.वी. यादव ने बताया कि यहाँ पर सुबह 9 बजे से गीता का समग्र पाठ किया गया। सांय 6 बजे आरती और प्रसाद वितरण के साथ समारोह संपन्न हुआ।