उज्जैन के उर्दू अदब की प्राचीन काल से समृध्द परंपरा रही है, म.प्र. उर्दू अकादमी के तलाशे जौहर में 34 शायरों ने की हिस्सेदारी
उज्जैन। उज्जैन उर्दू शायरी का प्रमुख केन्द्र रहा है। उज्जैन में प्राचीन काल से उर्दू साहित्य की समृध्द परंपरा रही है। मीर तकी के काल से उज्जैन में उर्दू गजल रची जा रही है। यहां के उर्दू साहित्यकार और शायरों ने उर्दू साहित्य के खजाने में इजाफा किया है। यह सिलसिला आज भी देखने को मिल रहा है। अकादमी के तलाशे जौहर प्रोग्राम में नवोदित शायरों ने भागीदारी कर आषु शायरी की रचना की।
यह बात उर्दू साहित्यकार डॉ. जफर महमूद ने म.प्र. उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित तलाशे जौहर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कही। कार्यक्रम संयोजक सुनील गाईड ने बताया कि कार्यक्रम में नवोदित शायरों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रख्यात शायर बशीर बद्र की गजल का मिसरा ‘ए तरह था, खुश्बुओं को उड़ाकर हवा ले गई’ दिया गया था। जिस पर 34 शायरों नेरचना कर उज्जैन संभाग की साहित्य परंपरा को समृध्द किया। निर्णायक मंडल में शायर समर कबीर, हमीद गौहर एवं हुसैन अहमद शान शामिल थे। अध्यक्षता साहित्य अकादमी अवार्ड प्राप्त उर्दू साहित्यकार महमूद अहमद सहर ने की। संचालन शायर शाहनवाज असीमी ने किया एवं आभार संयोजक सुनील गाईड द्वारा व्यक्त किया गया। तलाशे जौहर कार्यक्रम में म.प्र. उर्दू अकादमी द्वारा उज्जैन से मिर्जा जावेद बेग, डॉ. रफीक नागौरी, मुनव्वर अली ताज, अफरोज सहर, इमरोज हक, अंसार अहमद अंसार, अमजद खान, तराना से मुनव्वर अली ताज, देवास से मोईन खान, देव निरंजन का चयन किया।