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मौनतीर्थ पर गायन, नृत्य, शास्त्रीय गायन ने बांधा समा


श्री मौनीबाबा जयंती महोत्सव में कलासाधकों का हुआ सम्मान

उज्जैन। वो दिन आपको याद कैसे दिलायें यहीं पर कभी आप हम मिले थे, यही वो जगह है, यही वो फिजा है यही पर कभी आप हम फिर मिलेंगे-तेरा मेरा प्यार अमर, फिर क्यूं मुझको लगता है डर, मेरे जीवन साथी बता क्यूं दिल धड़के रह-रह कर। जैसे सुमधुर गीतों की प्रस्तुतियां नईदिल्ली की संगीता गुप्ता ने गुरूवार रात श्री मौनतीर्थ गंगाघाट पर दी।

श्रीश्री मौनीतीर्थ गंगाघाट पर आयोजित मौनीबाबा जयंती महोत्सव पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में नई दिल्ली की संगीता गुप्ता ने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी। उनके साथ धनप्रकाश हारमोनियम पर, सुधीर मजूमदार कीबोर्ड पर संगत की। श्री मौनतीर्थ जनसंपर्क अधिकारी दीपक राजवानी के अनुसार कार्यक्रम का शुभारंभ संत सुमनभाई व डॉ. अर्चना सुमन ने दीप प्रज्जवलन कर किया। वहीं दूसरी प्रस्तुति कथक नृत्यांजलि पं. कुलदीप दुबे ने प्रस्तुत की। पढ़न्त नृत्यगुरू पं. हरिहरेश्वर पोद्दार ने, तबले पर विनायक शर्मा, गायन हारमोनियम निलेश मनोहर, सितार वादन विनीता माहुरकर, बांसुरी विपिन मरमट, सहगायक मंजीरा, दीर्घा मनोहर, अनुष्का गोयल रही। सर्वप्रथम गुरू चरण पर शीष नवाउं गुरूवंदना भजन के बाद कत्थक के पारंपरिक प्रदर्शन में ताल तीन ताल में लखनउ, जयपुर व बनारस घराने की विशिष्ट बंदिशे विलंबित मध्य और धु्रत लहर में, भाव पक्ष में राग नंद में माता यशोदा और कृष्ण का वात्सल्य रूप, रूण झुण बाजे ललन पग पैंजनिया और मयूरगत के बाद जुगलबंदी से नृत्यांजलि का समापन हुआ। महोत्सव में तीसरी प्रस्तुति शास्त्रीय गायन की पं. रमेश जूते मुंबई द्वारा दी गई। इस अवसर पर जकार्ता से कशिश वासवानी, रूड़की से अरूण शर्मा, हरियाणा से वर्षा कौशिक विशेष रूप से मौजूद रहे। संचालन पद्मजा रघुवंशी ने किया एवं आभार वैभव शर्मा ने माना। 

इनका हुआ सम्मान

श्रीश्री मौनीबाबा जन्मोत्सव में गुरूवार रात कला साधकों का सम्मान किया गया। जिसमें मौन तीर्थ कला साधक सम्मान से कैलाशचंद्र शर्मा को, मानस श्री सम्मान से डॉ. रीभा तिवारी सासाराम बिहार को, सीताराम गुप्ता नईदिल्ली, कोमल वाधवानी उज्जैन को सम्मानित किया गया।

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