मित्रता आनंद का, शत्रुता कष्ट का कारण
रामानुज कोट में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ महोत्सव में लगा छप्पनभोग
उज्जैन। ईश्वर से संबंध बनाए रखना मुक्तिदायक है, मधुर संबंध रखना, मित्रता बनाना जितना आनंददायक है उतना ही कष्टदायक होता है किसी से शत्रुता रखना। परोपकार करने से आनंद की प्राप्ति होती है वहीं शत्रुता वेदना का कारण बनती है।
उक्त बात श्री लक्ष्मी व्यंकटेश मंदिर रामानुजकोट में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ महोत्सव में कथा व्यास एवं रामानुजकोट पीठाधीश्वर स्वामी रंगनाथाचार्य महाराज ने कथा में कही। डॉ. विनोद बैरागी के अनुसार जगद्गुरू श्यामनारायणाचार्य महाराज पीठाधीश्वर अयोध्या के सानिध्य में आयोजित भागवत कथा में गुरूवार को स्वामी रंगनाथाचार्य महाराज ने बाललीला, माखनचोरी, श्रीगोवर्धनलीला कथा, पुतना, षटकासुर, वक्रासुर, अधासुर के प्रसंग सुनाए गए। गिरीराज पर्वत पर छप्पन भोग लगाया गया। कथा में मुख्य रूप से गीता भवन उज्जैन के महंत भागवानंद महाराज, किशोरी माताजी भी उपस्थित रहीं। आरती प्रेमदास साधु, संपतबाई, शकुंतलादेवी, हरीश, पूजा बैरागी, ओमसिंह, विशाल आदि ने की। रामानुजकोट में प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक भागवत कथा एवं प्रसंगों के आयोजन हो रहे हैं इसी कड़ी में आज शुक्रवार को रासलीला, रूम्मणि विवाह कथा तथा 15 दिसंबर को सुदामा चरित्र के साथ कथा विश्राम होगा एवं हवन तथा प्रसादी का आयोजन होगा। स्व. बालारामदास, स्व. श्याणीबाई एवं स्व. लक्ष्मणदास बैरागी की पुण्यस्मृति में आयोजित भागवत कथा में धर्मलाभ लेने का अनुरोध बिंदुबाला बैरागी, डॉ. विनोद बैरागी, अनिता बैरागी, साकार बैरागी ने किया है।