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शिप्र प्रवाह कथा नदियों की’ में बताई नदियों की दुर्दशा


 
मौनतीर्थ पीठ पर नृत्यनाटिका में दिया जल है तो कल है का संदेश
उज्जैन। मनुष्य जितना सभ्य होता जा रहा है उतना ही मन से कठोर और अदयानीय होता जा रहा है, उसकी अति महत्वकांक्षा के चलते धीरे धीरे अपने आसपास के जीवजंतु, पेड़ पौधे यहाँ तक कि जीवन प्राण जल देने वाली नदी तक को नहीं छोड़ा, नदी का जल प्रदूषित है। जीवनदायनी नदी उदास हैं मनुष्य के कंठ को अपने निर्मल जल से शांत करने वाली नदी आज दुखी है। उसका जल सूख रहा है उसका अस्तित्व खतरे में है। क्या मनुष्य इतना गैर जिम्मेदार हो गया है कि उसने अपनी माँ रूपी नदी को ऐसे ही तड़पने के  लिए छोड़ दिया, क्या आप और हम मिलकर इसे संवारेंगे नहीं?
श्रीश्री मौनीबाबा जयंती महोत्सव में नृत्यनाटिका ’शिप्र प्रवाह कथा नदियों की’ के माध्यम से उक्त सन्देश श्री मौनतीर्थ गंगाघाट पर दिया गया। सर्वप्रथम संत सुमनभाई एवं डॉ. अर्चना सुमन ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। आश्रम के जनसंपर्क अधिकारी दीपक राजवानी ने बताया कि प्रतिभा संगीत कला संस्थान की नृत्यांगनाओं ने नृत्य के माध्यम से बताया ‘जल है तो कल है, जल बिन सब सून। साथ ही चेतावनी दी कि अब भी वक्त है भारत वासियों संभल जाओ वरना, नदी का अस्तित्व आने वाले हमारे अंश केवल काल्पनिक किताबों और नक्शो में ही देख पाएंगे। नृत्य निर्देशन प्रतिभा रघुवंशी का रहा, परिकल्पना पद्मजा रघुवंशी, आलेख गिरिजेश व्यास तथा संगीतकार इन्दरसिंह बैस रहे। प्रतिभा रघुवंशी ने क्षिप्रा के रूप में नजर आईं उनके साथ मंच पर हर्षा व्यास, अभिवृद्धि गेहलोद, फाल्गुनी नंदवाल, अनन्या गौड़, अवनि शुक्ला, देवांशी जाटवा, गौरीशा चावड़ा, जियामित रंधवाल, अंतरा आठवले, नव्या जोशी, दीक्षा सोनवलकर, राघवी यार्दे, सयाली मोदी, ऐश्वर्या शर्मा, रिया सोनी, कनिष्का जोशी, श्रुती परमार ने प्रस्तुति दी। संचालन कैलाश विजयवर्गीय ने किया एवं आभार वैभव शर्मा ने माना।

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