तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा
श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन मौनतीर्थ गंगाघाट पर बोले शंकराचार्य दिव्यानंद तीर्थ
उज्जैन। हम जब आईने के सामने खड़े होते हैं तो हम उल्टे दिखते हैं एक व्यक्ति के कई नाम है बेटा, बाप, दादा, भाई, जमाई, दोस्त, दुश्मन, पोता, नाना। उसी तरह भगवान भी एक ही है उनके नाम कई है। उनके स्वरूप भी अनेक हैं। मेरी आपकी उत्पत्ति हमारे माता-पिता के मिलन से हुई वह धर्म है लेकिन वैश्या के साथ मिलन अधर्म है। तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा।
उक्त बात गंगाघाट मौनतीर्थ पर आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण के चौथे दिन भानपुरा पीठ के शंकराचार्य दिव्यानंद तीर्थ ने कही। चतुर्थ दिवस भागवत कथा के पूर्व संत मानस भूषण सुमनभाई एवं डॉ. अर्चना सुमन ने भागवतजी पर माल्यार्पण कर पूजन किया व दंडी स्वामियों को माला पहनाकर एवं दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया। पश्चात वेद विद्यापीठ के बटुकों ने मंत्रोच्चार
से महाराज का अभिनंदन किया। पश्चात शंकराचार्य के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा का रसपान शहर के गणमान्यजनों ने किया। शंकराचार्य ने भागवत शुरू करने से पहले सभी भक्तों को नारायण स्वरूप कहकर संबोधित किया। आश्रम के जनसंपर्क अधिकारी दीपक राजवानी ने बताया कि इस अवसर पर कैलाश पाटीदार, भारतभूषण शर्मा, वैभव शर्मा, भगवान शर्मा, पं. जीवन भट्ट, अधिश द्विवेदी, नारायण शर्मा, दिलीप त्रिवेदी, वर्षा शर्मा, पूजा शर्मा, मुकेश पाटीदार सहित कई महिला पुरूष मौजूद थे।