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घृणा कर्मों से करो आत्मा से नहीं- जिनमणिप्रभ सुरिश्वरजी


 
उज्जैन। घृणा कर्मों से करो आत्मा से नहीं। परमात्मा प्रेम करना सिखाता है परमात्मा सबकी रक्षा व सबकी उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक होता है व शर्ते है कि आप परमात्मा के विश्वास करें व श्रध्दा रखे व परमात्मा से मांगे नहीं बिना ही परमात्मा आपकी आकाक्षाओं की पूर्ति करता है। इसलिए ही परमात्मा को श्रेष्ठ माना गया है। परमात्मा के लिए अपने मन में अध्यात्म का व भक्ति का घड़ा अगर एक बार भर जाएगा तो वह कभी खाली नहीं होगा। परमात्मा को सिंह की उपाधि भी दी गई है क्योंकि परमात्मा के उपर कोई नहीं है क्योंकि वह किसी से डरते नहीं निर्भिक होते हैं उनमें कोई स्वार्थ नहीं है। अतः आप अपने कर्मो को निःस्वार्थ भाव से पालन करें बाकी सब कुछ परमात्मा के उपर छोड़ दें। 
उक्त बात गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सुरिश्वरजी महाराज ने अपने प्रवचनों में कही। ट्रस्ट के सचिव चंद्रशेखर डागा ने बताया कि गुरूदेव के दर्शन एवं वंदन हेतु राजनंदगांव छत्तीसगढ़ के पूर्व महापौर नरेश डाकलिया पधारे व इंदौर श्रीसंघ भी पधारा। इन सभी का श्री अवंति पार्श्वनाथ मारवाड़ी समाज ट्रस्ट द्वारा शाल श्रीफल द्वारा सम्मान किया गया। 

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