विश्व एड्स दिवस 1 दिसम्बर को मनाया जायेगा
उज्जैन। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जायेगा। विश्व एड्स दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य एचआईवी रोग से ग्रसित है, उनकी सहायता प्रदान करना और बीमारी से छुटकारा पाने के लिये ग्रसित व्यक्ति को इलाज कराने हेतु प्रेरित किया जाना है। इस दिन जन-जागृति के लिये रैली प्रात: 9 बजे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय से प्रारम्भ होकर छत्रीचौक पर समापन की जायेगी।
एचआईवी एड्स क्या?
एड्स जिस वायरस के कारण होता है, उसका नाम एचआईवी है। यह शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम करता है और जब यह क्षमता क्षीण हो जाती है तो शरीर में विभिन्न रोगों के लक्षण प्राप्त होने लगते हैं। इसी अवस्था को एड्स कहते हैं।
रोग फैलने के कारण
असुरक्षित यौन सम्पर्क करने से किसी एचआईवी ग्रसित व्यक्ति के सम्पर्क में आने वाले दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को एचआईवी वायरस फैलने का खतरा होता है। अधिक जानकारी के अनुसार एचआईवी एड्स फैलने का प्रमुख कारण असुरक्षित यौन सम्पर्क है। संक्रमित रक्त से या कोई व्यक्ति बीमार या दुर्घटनाग्रस्त है और इलाज के दौरान उसे रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो रक्त चढ़ाने से पहले उसकी जांच करना चाहिये। यदि एचआईवी संक्रमित रक्त उस व्यक्ति को चढ़ाया जाता है तो उसे भी एचआईवी एड्स का संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा संक्रमित सुई व सीरिंज से यदि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई तो अन्य व्यक्ति इसका इस्तेमाल करता है तो उसे भी एचआईवी संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसलिये हमेशा व्यक्ति को डिस्पोजेबल सुई व सीरिंज का ही उपयोग किया जाना चाहिये। एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला से उसके होने वाले शिशु में भी एचआईवी संक्रमण का खतरा रहता है।
एड्स के रोकथाम के उपाय
असुरक्षित यौन सम्पर्क से बचें। यौन सम्पर्क से पूर्व निरोध का इस्तेमाल अवश्य करें। रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ने पर उसकी सम्पूर्ण जांच अवश्य करायें। हमेशा डिस्पोजेबल सुई एवं सीरिंज का उपयोग करें। शासन द्वारा एचआईवी परामर्श एवं जांच केन्द्रों पर एचआईवी ग्रसित व्यक्ति उचित सलाह एवं जांच करवायें। गर्भवती महिलाओं, टीबी के रोगियों, यौन रोगियों एवं जन-सामान्य को नि:शुल्क परामर्श एवं जांच सेवा उपलब्ध कराई जाये। जिला अस्पतालों में, चिकित्सा महाविद्यालयों तथा कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एकीकृत जांच परामर्श केन्द्र संचालित हैं, उन केन्द्रों पर सम्पर्क कर सकते हैं। एचआईवी पाजिटिव एवं एड्स पीड़ितों के उपचार हेतु एआरटी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है, जहां पर ग्रसित व्यक्ति नि:शुल्क औषधी एवं उपचार करवा सकता है।
जन-जागरूकता लाना आवश्यक
आमजन में एचआईवी एड्स के बारे में जागरूकता लाना चाहिये। सभी गर्भवती महिलाओं, टीबी के मरीजों की एचआईवी जांच अवश्य करवाना चाहिये। एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को छूने से, उनके साथ रहने से, साथ खाना खाने से, मच्छर काटने से, छींकने या खांसने से संक्रमण नहीं फैलता है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिये, उनसे भेदभाव नहीं करना चाहिये। एड्स से ग्रसित व्यक्ति एआरटी इलाज के सहारे लम्बे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है।