व्याख्यान वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत हुए मुनिश्री प्रज्ञासागरजी मुनिराज..
*सिद्धक्षेत्र श्री महावीर तपोभूमि उज्जैन के 13 साल...पूर्ण होने का उत्सव श्रवनबेलगोला के आँगन में...*
*स्वस्तिश्री चारुकीर्ति जी महास्वामी जी ने दी मुनिश्री को "व्याख्यान वाचस्पति"की उपाधि से अलंकृत..*
*तपोभूमि के माथे पर श्रवणबेलगोला का तिलक...*
*उज्जैन में श्री महावीर तपोभूमि के साथ साथ श्रवणबेलगोला श्रीक्षेत्र में भी प्रतिष्ठापना महोत्सव के रूप में 100 से भी अधिक साधु संतों के सानिध्य में मनाया गया..साथ ही इसी अवसर पर श्री प्रज्ञासागर जी का जन्मोत्सव भी मनाया गया...
तपोभूमि प्रणेता श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज की प्रेरणा से उज्जैन में श्री महावीर तपोभूमि का निर्माण किया गया जिससे उज्जैनी का ही नही अपितु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश का नाम भारत वर्ष में गौरवान्वित हुआ है आज जैन तीर्थो में तपोभूमि का नाम स्वर्ण अक्षरों से अंकित है ।
तपोभूमि आज अपने 13 वर्ष सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने है रही है ..
*श्रवणबेलगोला कर्नाटक में भी मनाया गया 13वाँ स्थापना दिवस...*
तपोभूमि के प्रणेता श्री प्रज्ञासागर जी महाराज का चातुर्मास
श्रवणबेलगोला में चल रहा है जहां पर ...
*वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज,आचार्य श्री सुविधि सागर जी महाराज,आचार्य श्री तीर्थनंदी जी ,आचार्य श्री सुधेश सागर जी,आचार्यश्री पंचकल्याणक सागर जी आचार्य श्री श्रेय सागर जी महाराज एवं उपाध्याय श्री उर्जयन्त सागर जी सहित 100 से भी अधिक साधु संतों के सानिध्य में एवं *श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला के स्वस्ति श्री चारुकीर्ति जी भट्टारक स्वामी जी के नेतृत्व में एवं युगल मुनिराज श्री अमरर्कीति जी महाराज एवं छुल्लक श्री समर्पण साग़र जी के कुशल निर्देशन में एवं अनेकों आर्यिकाओं संघ के सानिध्य में श्री सिद्धक्षेत्र महावीर तपोभूमि उज्जैन का "13 वाँ प्रतिष्ठापना महोत्सव" हर्षोल्लास के साथ मनाया गया..*
*इस अवसर पर तपोभूमि प्रणेता परम पूज्य श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज का अभिनंदन समारोह भी सभी आचार्य संघ की निश्रा में आयोजित किया गया जिसके अंतर्गत स्वस्ति श्री चारुकीर्ति जी भट्टारक स्वामी जी द्वारा मुनिश्री को....*
*।।"व्याख्यान वाचस्पति" *।।की उपाधि से अलंकृत किया गया...इसी अवसर पर स्वामी जी द्वारा अष्ठधातु की अतिमनोहारी भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा एवं श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषेक 2018 प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया गया...*
ये तपोभूमि के लिए अत्यंत गौरव की बात है की जैन धर्म के सबसे लोकप्रिय तीर्थक्षेत्र श्रवणबेलगोला श्री क्षेत्र कर्नाटक में सिद्धक्षेत्र श्री तीर्थंकर महावीर तपोभूमि उज्जैन का प्रतिष्ठापना दिवस मनाया गया...वो भी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज सहित 100 से भी अधिक दिगम्बर जैन साधु संतों के सानिध्य में।
यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है...की एक तीर्थक्षेत्र का सम्मान तीर्थक्षेत्र में हुआ..
महोत्सव का शुभारंभ भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ जिसमें स्वयं स्वामी जी श्रवनबेलगोला जैन समाज को लेकर मुनिश्री को सभा मण्डप तक ले जाने आये...साथ ही स्कूल के बच्चों द्वारा जैन ध्वजा एवं छत्र लेकर चलना ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से देवगण आकर मुनिश्री का स्वागत कर रहे हो...और महोत्सव स्थल तक 13 रजत थालों के साथ 13 पाटे लगा कर पूरे रास्ते में 13 परिवारों द्वारा पाद प्रक्षालन किया ,पुष्पवृष्टि की गयी...स्वागत में बच्चे भी संपूर्ण पारंपरिक भेषभूषा में हाथ में दीपक मँगल कलश लेकर तैयार खड़े थे...द्वार द्वार पर सुँदर रंगोली बनाई गयी थी...पूरी शोभायात्रा के दौरान स्वामी जी एवं श्री अमरकीर्ति जी महाराज ,छुल्लक श्री समर्पण सागर जी साथ चल कर शोभायात्रा को चार चाँद लगा रहे थे...
सभा मण्डप में सर्वप्रथम सभी आचार्यो को अर्घ्य समर्पित किया गया..एवं श्री प्रज्ञासागर जी का पंचामृत पाद प्रक्षालन भी किया गया...साथ ही भव्य पुष्पवृष्टि की गयी...दृश्य इतना मनभावन था कि सभी ने तालियों के साथ अनुमोदना की...ततपश्चात मुनिश्री को स्वामी जी द्वारा रजत अभिनन्दन पत्र दिया गया एवं भगवान महावीर स्वामी प्रतिमा भी भेंट की गयी जिसे देखकर मुनिश्री भी आश्चर्य चकित रह गए...इस पर मुनिश्री ने कहा ये मेरा सम्मान नहीं..बल्कि तपोभूमि का सम्मान है..और स्वामी जी में मुझे भगवान देकर और भी प्रसन्न कर दिया... क्यों की भगवान मिलना मेरे लिए बहुत ही शुभ रहा है..
इस अवसर पर स्वस्तिश्री चारुकीर्ति जी भट्टारक स्वामी जी ने कहा प्रज्ञा के धनी है श्री प्रज्ञासागर जी महाराज जिनमें हर कार्य को कुशलता से करने की क्षमता है तो किसी भी विषय में प्रवचन करने की कला भी है..वात्सल्य इनमे अत्यधिक समाहित है..इसलिए बच्चों से लेकर युवा बुजुर्ग सभी इनसे जुड़ जाते है..तपोभूमि के निर्माण श्रेय मुनिश्री को मिलना इस बात का प्रमाण है कि भगवान महावीर से इनका कोई न कोई संबंध जरूर रहा होगा... और श्रवणबेलगोला का सम्बन्ध उज्जैन से हज़ारो वर्षो से है..भद्रबाहु स्वामी उज्जैन से ही विहार करके श्रवणबेलगोला आये थे ..और अब मुनिश्री ने यहाँ आकर हज़ारो वर्षो बाद एक बार फिर श्रवणबेलगोला और उज्जैन के बीच एक कड़ी फिर जोड़ दी..स्वामी जी सहित....वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी,आचार्य श्री सुविधि सागर जी ,उपाध्याय श्री उर्जयन्त सागर जी,श्री अमरकीर्ति जी महाराज , एवं छूल्लक श्री समर्पण सागर जी सहित सभी साधु सन्तो ने मुनिश्री प्रज्ञासागर जी महाराज के लिए एवं तपोभूमि के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त की..
इस तरह पहली बार तपोभूमि का प्रतिष्ठापना दिवस श्रवणबेलगोला में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.....