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21 नवंबर को महाकाल की सवारी में 2 घण्‍टे की जा सकेगी आतिशबाजी



उज्जैन . महाकाल मंदिर में 21 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी की रात निकलने वाली महाकालेश्वर की सवारी और हरिहर मिलन उत्सव में दो घंटे आतिशबाजी की जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए अनुमति दे दी है। इसके अलावा देव प्रबोधिनी एकादशी (19 नवंबर) पर महाकाल मंदिर के गर्भगृह में आरती के दौरान फुलझड़ियां छोड़ने की भी छूट मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली की रात ही 8 से 10 बजे तक आतिशबाजी की अनुमति दी थी। दीपावली के बाद देवोत्थान एकादशी पर पूजन और वैकुंठ चतुर्दशी पर महाकाल सवारी व हरिहर मिलन के दौरान आतिशबाजी की परंपरा है। इसके मद्देनजर कलेक्टर मनीष सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट को पूजन-आरती में आतिशबाजी की परंपरा की जानकारी दी गई थी।

न्यायाधीश एके सिकरी और एस. अब्दुल नजीर ने बुधवार को आदेश जारी करते हुए पर्वों पर परंपरा अनुसार आतिशबाजी की अनुमति दे दी है। गौरतलब है कि इस बार दीपावली पर गर्भगृह में होने वाली आतिशबाजी के लिए कलेक्टर मनीष सिंह ने अनुमति जारी की थी। यह अनुमति पूजन के दौरान केवल 5 फुलझड़ी छोड़ने की थी।  

शोर व प्रदूषण करने वाली आतिशबाजी न हो : आतिशबाजी 21 नवंबर की रात 11 बजे से 1 बजे तक यानी कुल दो घंटे की जा सकेगी। इस दौरान फुलझड़ी, अनार, चकरी ही छोड़ी जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपेक्षा की है कि आतिशबाजी से प्रदूषण न हो इसका ध्यान रखा जाएगा।
 
रात 11 बजे महाकाल से निकलेगी सवारी, 12 बजे हरिहर मिलन  : हरिहर मिलन के लिए महाकालेश्वर की सवारी मंदिर से 21 नवंबर की रात 11 बजे शुरू होगी। सवारी गोपाल मंदिर पहुंचेंगी। यहां श्रीकृष्ण और महाकाल की पूजन आरती की जाएगी। इसके बाद सवारी फिर मंदिर लौटेगी। इस दौरान आतिशबाजी की परंपरा है। 19 नवंबर को महाकाल की भस्मआरती और सांध्य आरती के दौरान फुलझड़ियां छोड़ी जाती है।  (जैसा पं.आशीष पुजारी ने बताया।)

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