शिप्रा नदी के जल को कलेक्टर ने संरक्षित घोषित किया
आदेश का उल्लंघन होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी
उज्जैन । कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री मनीष सिंह ने जनसाधारण को घरेलू प्रयोजन के लिये जल उपलब्ध कराने की दृष्टि से महिदपुर स्थित शिप्रा नदी के जल को पेयजल परिरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-3 के प्रावधानों के अनुसरण में जल को संरक्षित घोषित किया है। महिदपुर के समीप शिप्रा नदी के लगे ग्रामों को केवल पेयजल के लिये प्रयोग की अनुमति देते हुए अधिनियम की धारा-4 के प्रावधानों के तहत शिप्रा नदी के जल को अन्य किसी प्रयोजन, सिंचाई एवं अन्य औद्योगिक प्रयोजन के उपयोग हेतु निषिद्ध किया है।
मप्र पेयजल परिरक्षण अधिनियम-1986 के प्रावधानों के अन्तर्गत महिदपुर अनुभाग के राजस्व अनुविभागीय अधिकारी ने कलेक्टर श्री मनीष सिंह को अवगत कराया कि नगरीय क्षेत्र महिदपुर की पेयजल व्यवस्था का मुख्य स्त्रोत शिप्रा नदी है। शिप्रा नदी से सिंचाई हेतु किसानों के द्वारा पानी लेने से नदी में पानी की उपलब्धता शून्य होने की स्थिति से पेयजल संकट उत्पन्न होगा, इसलिये शिप्रा नदी के जल को संरक्षित किया जाकर सिंचाई हेतु उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाये।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री मनीष सिंह ने महिदपुर अनुभाग के राजस्व अनुविभागीय अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी पुलिस तथा मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि महिदपुर के समीप शिप्रा नदी के जल का उपयोग केवल घरेलू प्रयोजन के लिये हो तथा जल की निगरानी रखी जाये। कलेक्टर ने उक्त अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि यह उनका उत्तरदायित्व होगा कि वे शिप्रा नदी के जल को अन्य प्रयोजन के लिये न करते हुए पाये जाने की स्थिति में अधिनियम की धाराओं के अधीन आवश्यक वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करें। नगर पालिका महिदपुर, राजस्व विभाग एवं विद्युत मण्डल के अधिकारियों के दल महिदपुर स्थित शिप्रा नदी पर चलने वाले अवैध पम्पों को जप्त करने की कार्यवाही करेंगे। आदेश का उल्लंघन किये जाने पर अधिनियम की धारा-9 के प्रावधान आकृष्ट होंगे। आदेश का उल्लंघन सिद्ध पाये जाने पर सम्बन्धित को 2 वर्ष का कारावास अथवा 2 हजार रूपये का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान है।