कागजों पर बना नाला, भुगतान के लिए नोटशीट भी चला दी
वार्ड 46 और 47 के बीच 50 लाख की लागत से होना था निर्माण, धरातल पर कुछ नहीं
उज्जैन। वार्ड 46 और 47 के बीच में 50 लाख की लागत से नाला निर्माण कार्य में धांधली की शिकायत निगमायुक्त से की है। शिकायत में समाजसेवी धनराज गेहलोत ने बताया कि जिस गली में नाला निर्माण होना अधिकारी कागजों पर बता रहे हैं वहीं नाला तो क्या छोटी सी नाली तक का निर्माण नहीं हुआ। निगमायुक्त को फोटो एवं शिकायत पत्र सौंपकर नाला निर्माण के लिए स्वीकृत राशि के भुगतान पर रोक लगवाने की मांग की गई।
धनराज गेहलोत ने बताया कि ठेकेदार फर्म क्षिप्रा इंटरप्राईजेश को शास्त्रीनगर गली नंबर 3 से गली नंबर 9 तक नाला बनाना था वह कागजों में बनना बताया जा रहा है लेकिन धरातल पर अब तक नहीं बना। गली नंबर 7 से गली नंबर 6 और गली नंबर 5 से थोड़ा सा आगे बना और गली नंबर 4 में और 3 में नाले का निर्माण कार्य नहीं हुआ। वहीं इसके भुगतान के लिए 23 अक्टूबर 2018 को नोटशीट भी चला दी गई है। गेहलोत ने बताया कि शास्त्रीनगर में केवल गली नंबर 9 से गली नंबर 7 तक ठेकेदार विवेक ठाकुर द्वारा 12 लाख की लागत से नाले का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया गया है। निगमायुक्त को फोटो एवं नोटशीट के साथ एमबी संलग्न कर शिकायत कर नाला निर्माण के संबंध में फर्जी रूप से क्षिप्रा इंटरप्राईजेश को होने वाले भुगतान को रूकवाने की मांग कर मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी मांगी तो अप्रमाणित दी, बचने के लिए जो काम किये नहीं वह करवा रहे
धनराज गेहलोत ने बताया कि वार्ड क्रमांक 47 स्थित उद्यानों में हुए कार्यों की जानकारी विधिवत शुल्क देकर सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी बावजूद कई बार चक्कर कटवाये लेकिन जानकारी नहीं दी, वहीं जानकारी दी भी तो आधी अधूरी व अप्रमाणित जानकारी प्रदान की गई। जब मामले की शिकायत निगमायुक्त को की गई तो नगर पालिक निगम के कार्यालय अधीक्षक (सा.प्र.वि) द्वारा पत्र लिखकर नगर पालिक निगम के सहायक यंत्री उद्यान विभाग को पत्र लिखकर निर्देशित किया गया कि मेघराज गेहलोत को सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी की सत्यापित प्रतिलिपि प्रदान करें। पत्र में लिखा भी था कि मेघराज गेहलोत ने 24 सितंबर 2018 को 1020 रूपये चालान के माध्यम से निगम कोषालय में जमा करा दिये हैं इसलिए यह जानकारी निःशुल्क प्रदान की जाए। बावजूद इसके उद्यान विभाग में पदस्थ योगेंद्र गंगराड़े और झोन 6 में कार्यपालन यंत्री पीसी यादव तथा इंजीनियर द्वारा आयुक्त के आदेश के बावजूद जानकारियां नहीं दी। बल्कि जैसे ही जानकारी मांगने की बात अधिकारियों को पता चली तो भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए अधिकारी उन उद्यानों में वे काम करवाने लगे जो सिर्फ कागजों पर हुए थे।