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निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है आदर्श आचरण संहिता


भारतीय प्रजातंत्र की सफलता में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव महत्वपूर्ण भूमिका रखते है। निर्वाचन प्रक्रिया को सुगमता से सम्पन्न करवाने में जहाँ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उपयोग होता है। वहीं भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश भी है, जिनका पालन सभी को करना होता है। कुछ मार्गदर्शी सिद्धांत भी निर्वाचन प्रकिया को अहम बनाते है। इसी के अनुरूप चुनाव आयोग राजनैतिक दलों और अभ्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए "आदर्श आचरण संहिता'' का प्रकाशन प्रत्येक आम चुनाव के लिए करता आया है। पूर्वानुसार इस बार भी मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचरण संहिता को जारी किया गया है।

आदर्श आचरण संहिता के पहले बिंदु में राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों से साधारण आचरण की अपेक्षा की गई है। उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जो जातियों, समुदायों के बीच मतभेदों को बढ़ाये, घृणा की भावना अथवा तनाव पैदा करें। अन्य दलों की आलोचना करते समय उनकी नीतियों, कार्यक्रम, पूर्व रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जाए। व्यक्तिगत आलोचना और जातीय-या साम्प्रदायिक संदर्भो से बचना चाहिए। वोट लेने के लिए जातीय या साम्प्रादयिक भावनाओं की दुहाई नहीं की जानी चाहिए। धार्मिक स्थलों का उपयोग प्रचार में नही किया जा सकता। मतदाताओं को रिश्वत देना, डराना-धमकाना, मतदान केन्द्र के 100 मीटर के भीतर मत-याचना, वोटिंग समाप्ति के नियत समय को खत्म होने वाली 48 घंटे की अवधि के दौरान सभाएँ करना तथा वोटर को वाहन से मतदान केन्द्र तक ले जाना भ्रष्ट-आचरण और अपराध की श्रेणी में आता है। अन्य अभ्यर्थी की निजी जिन्दगी में दखल देने, बिना अनुमति के निजी सम्पत्ति पर झण्डा, पोस्टर, बैनर लगाने तथा विरोधी दलों की सभाओं में बाधा पहुँचाने से दलों/उम्मीदवारों को बचना चाहिए।

सभाओं के आयोजन के संबंध में भी स्पष्ट निर्देश है कि प्रस्तावित सभा स्थल और समय के बारे में स्थानीय अधिकारियों को उपयुक्त समय पर सूचित किया जाए। पहले ही सुनिश्चित किया जाए कि प्रस्तावित सभा-स्थल पर प्रतिबंधात्मक आदेश लागू नहीं है। बिना अनुमति के लाउड स्पीकर या अन्य किसी सुविधा का उपयोग न करने तथा सभा में व्यवधान डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस से सहयोग लेने की अपेक्षा की गई है। जुलूस निकालने के संबंध में भी आदर्श आचरण अपनाने की बात का उल्लेख है। पहले ही तय करना होगा कि जुलूस किस समय और किस स्थान से शुरू होगा। उसका मार्ग क्या होगा तथा किस स्थान पर समाप्त होगा। इसमें कोई फेरबदल नही होना चाहिए। इसकी सूचना भी स्थानीय पुलिस को दी जानी चाहिए। जुलूस मार्ग की पहले से अनुमति हो और जहाँ निषेधात्मक आदेश लागू हो, वहाँ से नही निकाला जाए तथा यातायात में कोई बाधा उत्पन्न न हो। व्यवस्था ऐसी की जाए कि सड़क पर जब जुलूस निकले तो आधी सड़क खाली रहे। दो जुलूस के एक ही सड़क से निकलने की स्थिति में उन्हें अलग-अलग समय दिया जाएगा ताकि उनमें टकराव न हो। जुलूस में ऐसी वस्तुओं को लेकर चलने में प्रतिबंध रहे, जिनका अवांछनीय तत्वों द्वारा विशेष रूप से उत्तेजना के दौरान हिंसा के प्रयोजन से दुरूपयोग किया जा सके। राजनैतिक दलों, नेताओं के पुतले लेकर चलने तथा उसको जलाने से परहेज करना चाहिए।

राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों से शांतिपूर्वक मतदान करवाने की अपेक्षा की गई है, ताकि मतदाता बिना किसी परेशानी या बाधा के वोट डाल सके। दलों/उम्मीदवारों को अपने अधिकृत कार्यकर्ताओं को पहचान पत्र या बिल्ले दिये जाएँ। मतदाताओं को सफेद कागज पर जो पहचान पर्ची दी जाएँ उस पर कोई प्रतीक, दल या उम्मीदवार का नाम नहीं होना चाहिए। मतदान के दिन या उसके पहले के 48 घंटे के दौरान शराब का वितरण आदि न हो। मतदान केन्द्रों के समीप लगे कैम्प में अनावश्यक भीड़ न होने दें। ये भी सुनिश्चित हो कि जो कैम्प लगे वे साधारण हो, उन पर पोस्टर, झण्डे, प्रतीक या अन्य कोई प्रचार सामग्री प्रदर्शित न हों। जो वाहन प्रयुक्त हो उसके लिए परमिट लिए जाएँ तथा वाहनों पर चस्पा हो।

मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं के अलावा किसी भी व्यक्ति को आयोग के प्राधिकार-पत्र के बिना प्रवेश नही दिया जायेगा। विशिष्ट शिकायत या समस्या होने पर उसकी सूचना प्रेक्षक को दी जा सकेगी। सत्ताधारी दल को सुनिश्चित करना चाहिए कि यह शिकायत करने का मौका किसी को न मिले कि उसके द्वारा निर्वाचन के प्रयोजन के लिए सरकारी पद का उपयोग किया गया है। मंत्रियों को शासकीय दौरों को प्रचार के साथ नही जोड़ना चाहिए। प्रचार के दौरान शासकीय मशीनरी या कर्मियों का उपयोग नही करना चाहिए। सरकारी विमानों, वाहनों, मशीनरी और कर्मियो का उपयोग भी नही किया जाए। सत्ताधारी दल को चाहिए कि सार्वजनिक स्थान पर सभाएँ करने या हैलीपेड के इस्तेमाल में अपना एकाधिकार न जमाएँ। ऐसे स्थान का उपयोग दूसरे दलों और उम्मीदवारों को भी उनकी शर्तो पर करने दिया जाए, जिन शर्तो पर सत्ताधारी दल स्वयं उपयोग करता है। विश्राम गृहों, डाक बंगलो या सरकारी आवासों पर भी एकाधिकार न हो। इनका उपयोग प्रचार कार्यालय या सार्वजनिक सभा के लिए नही किया जाए।

सत्ताधारी दल की उपलब्धियों को दिखाने वाले राजनैतिक समाचारों एवं सरकारी खर्चे से समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों में विज्ञापनों को जारी किया जाना तथा सरकारी जनमाध्यमों का दुरुपयोग ईमानदारी से बिल्कुल नहीं होना चाहिए। मंत्रीगण अपने विवेकाधीन निधि से अनुदान की स्वीकृति नही दे सकेगें। वे किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय स्वीकृति या वचन देने की घोषणा तथा परियोजनाओं की आधारशिला भी नही रख सकेगें। सड़कों के निर्माण का वचन तथा पीने के पानी की सुविधाएँ भी नही दे सकेगे। शासन या सार्वजनिक उपक्रमों के ऐसी कोई तदर्थ नियुक्ति नही की जा सकेगी जो मतदाता को प्रभावित करने वाली हो। केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री, उम्मीदवार या मतदाता अथवा अधिकृत एजेंट की हैसियत को छोड़कर मतदान या मतगणना केन्द्र मे प्रवेश नही कर सकेगें।

घोषणा-पत्र

चुनाव आयोग ने घोषणा पत्र के संबंध में भी निर्देश जारी किये है। घोषणा पत्र में ऐसी कोई बात नही होना चाहिए जो संविधान में दिये गये सिद्धांतों और आदर्शो के प्रतिकूल हो। राजनैतिक दलो को ऐसे वायदे करने से बचना चाहिए जो निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता को दूषित करें या वोटर के मताधिकार में कोई अनुचित प्रभाव डाले। वित्तीय अपेक्षाओं को पूरा करने के साधनों का व्यापक रूप से घोषणा-पत्र में उल्लेख होना चाहिए। वायदें ऐसे हो, जिन्हें पूरा करना संभव हो सके।

 

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