हाईकोर्ट की मंजूरी के बगैर नहीं हो सकेगा स्मार्ट सिटी का क्रियान्वयन
बिनोद मिल्स श्रमिकों के भुगतान मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जज ने सुनाया निर्णय-सरकार पर 25 हजार का जुर्माना कायम रहा
उज्जैन। सरकार अब बगैर हाईकोर्ट की अनुमति के स्मार्ट सिटी का क्रियान्वयन नहीं कर सकेगी। बिनोद मिल्स की सुनवाई में सोमवार को हाईकोर्ट न्यायाधीश ने यह निर्णय सुनाया साथ ही सरकार पर पूर्व में लगे 25 हजार के जुर्माने को भी कायम रखा।
ओमप्रकाश भदौरिया ने बताया कि बिनोद मिल्स श्रमिकों के भुगतान को टालने के लिए शासन नित नए हथकंडे अपना रहा है जिसे न्यायालय के इस निर्णय ने चकनाचूर कर दिया। सोमवार को उच्च न्यायालय में कम्पनी जज प्रकाश श्रीवास्तव के समक्ष प्रथम नंबर पर ही बिनोद मिल्स की सुनवाई थी। श्रमिकों का पक्ष धीरजसिंह पंवार ने रखा। न्यायाधीश ने करीब 30 मिनिट तक दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात निर्णय सुनाते हुए पूर्व तारीख पर लगाया 25 हजार का जुर्माना कायम रखा तथा स्मार्ट सिटी के क्रियान्वयन पर बगैर कोर्ट की अनुमति के रोक लगाकर शासन के मुंह पर तमाचा मारा। बिनोद मिल्स के सैकड़ों श्रमिक सोमवार को समिति के नेतृत्व में इंदौर उच्च न्यायालय में एकत्रित हुए सभी ने न्यायालय के निर्णय पर हर्ष जताया। श्रमिकों में मुख्य रूप से ओमप्रकाश भदौरिया, हरिशंकर शर्मा, फूलचंद मामा, संतोष सुनहरे, प्रद्योत चंदेल, वीरेन्द्र कुशवाह, मदनलाल ललावत, शंकरलाल वाडिया आदि थे। अब उच्च न्यायालय में 29 अक्टूबर को सुनवाई की संभावना है।