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मच्छर पनपेगा जहां, 'जीका' फैलेगा वहां, जीका वायरस से बचाव के सरल उपाय


 

उज्जैन । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एमएल मालवीय ने जानकारी दी कि जीका वायरस रोग एक वायरल रोग है। ये संमित एजिड एजिप्टाई मादा मच्छर के काटने से फैलता है, अत: इस रोग से बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि इसके वाहक मच्छर को पनपने से रोका जाये। इसीलिये अपने घर के आसपास का माहौल स्वच्छ रखें। सप्ताह में 1 बार कूलर के पेड, फूलदान, पानी की टंकी और फ्रीज की ट्रे इत्यादि धोकर, सूखाकर ही दोबारा भरें।

अपने घर एवं घर के बाहर पानी की टंकियों को खुला न छोड़ें, घर के आसपास पानी जमा न होने दें, टायरों को बिखरा पड़ा न रहने दें। इसके अलावा अनुपयोगी बर्तन, टायर, नारियल की खोल, खुले में पड़े अनावश्यक कबाड़ इत्यादि में पानी एकत्रित न होने दें। गौरतलब है कि ऐसा माहौल मच्छर के पनपने में सहायक होता है।

जीका वायरस बीमारी का उद्भवकाल 2 से 7 दिनों का होता है। जीका वायरस प्रभावित क्षेत्र से आये लोगों में यह बीमारी 15 दिवस तक की अवधि में पाई जाने की संभावना हो सकती है।

जीका वायरस रोग के मुख्य लक्षण

जीका वायरस रोग के मुख्य लक्षण हैं मरीज के शरीर पर चकते आना, बुखार होना, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, बैचेनी होना और आंखें लाल होना। यदि उक्त लक्षण प्रकट हो रहे हैं तो आमजन से अपील है कि तत्काल जिला चिकित्सालय में जाकर जांच और उपचार करायें। शासकीय चिकित्सालयों में यह पूर्णत: नि:शुल्क उपलब्ध है।

बचाव के उपाय

सीएमएचओ ने जानकारी दी कि कुछ उपाय कर इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है जैसे कि यदि आवश्यक न हो तो प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा न करें, विशेष तौर पर गर्भवती महिलाएं। एडीज मच्छर दिन के समय काटता है, इसीलिये पूरे बांह के कपड़े पहनें, मच्छरदानी का उपयोग करें। इलेक्ट्रॉनिक मॉस्किटो रिपेलेंट, क्रीम आदि का उपयोग करें। फेफड़े, हृदय, लीवर, गुर्दा, मधुमेह, कैंसर आदि लम्बी बीमारियों वाले यात्रियों को यात्रा पर जाने से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिये। रक्तदान से पहले डोनर की जीका की जांच अवश्य करवाई जाये। जीका रोगी 3 सप्ताह तक यात्रा न करें, रक्तदान न करें और बुखार होने पर एस्प्रीन का प्रयोग कतई न करें।

जीका रोगी को अत्यधिक पानी का सेवन करना चाहिये। गौरतलब है कि गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस के संक्रमण से शिशु के सिर का अपूर्ण विकास होता है, अत: विशेषतौर पर गर्भवती महिलाएं नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण करवायें।

 

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