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एक साल पहले हो गया भुगतान, अब शुरू हुआ निर्माण


 

नगर निगम के अधिकारियों ने किया उद्यान निर्माण में करोड़ों का भ्रष्टाचार-कई जगह उद्यान बने ही नहीं और निर्माण की राशि डकार गए-सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो हुआ खुलासा 
उज्जैन। वार्ड क्रमांक 47 में उद्यान निर्माण के नाम पर करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। यहां पर उद्यान बने ही नहीं और बिल पास कर अधिकारियों द्वारा भुगतान करवा लिया गया वहीं कई उद्यानों में जीर्णोध्दार के नाम पर आया रूपया अधिकारी डकार गए और निर्माण कार्य नहीं करवाया। खुलासा होने के बाद अब अधिकारी खुद को बचाने के लिए रातों रात उद्यानों में निर्माण कार्य करवा रहे हैं। 
समाजसेवी धनराज गेहलोत ने बताया कि सुभाष नगर पानी की टंकी के नीचे बने उद्यान में सौंदर्यीकरण एवं झूले लगाने के नाम पर वर्ष 2017 में करीब 25 लाख रूपये निकाल लिये गये जबकि यहां पर न तो झूले लगे और न ही सौंदर्यीकरण हुआ। इसमें भ्रष्टाचार की आशंका के चलते सूचना के अधिकार के तहत जब नगर निगम से जानकारी मांगी तो देने की बजाय आनाकानी करने लगे। आयुक्त के आदेश के बाद भी जानकारी तो दी लेकिन उसमें भी उद्यान प्रभारी योगेन्द्र गंगराड़े द्वारा साईन करने में आनाकानी की जा रही है। लेकिन इस सब में इस बात का खुलासा हुआ कि वार्ड 47 में अधिकारियों द्वारा करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार उद्यान के नाम पर कर लिया है। अब इससे बचने के लिए 10 अक्टूबर को सुभाषनगर पानी की टंकी के नीचे उद्यान में रात में निर्माण की सामग्री, झूले, नाव का सामान रखा गया है तथा इसका निर्माण कार्य किया जा रहा है। धनराज गेहलोत ने बताया कि पूर्व में भी संभागायुक्त, कलेक्टर, कमिश्नर से यहां हो रहे भ्रष्टाचार के मामले की शिकायतें की है लेकिन अधिकारियों द्वारा अधिकारियों को बचा लिया जाता है। अब इस मामले में न्यायालय की शरण लेंगे। 
जहां बगीचा बताया वहां है घर
नगर निगम के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दी गई है। साईनाथ कॉलोनी में रहने वाले हाथीवाला व सुरेश पाल जहां 25 सालों से रह रहे हैं। उनके घर की जगह पर कागजों में उद्यान निर्माण बता दिया और इसका भुगतान भी अधिकारियों द्वारा बाले-बाले करवा लिया गया। 
अधिकारियों को दंभ पैसा बंगले तक जाता है
धनराज गेहलोत ने बताया कि वार्ड क्रमांक 47 में हुए भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए इसमें लिप्त नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी एक हो गये हैं और निमगायुक्त को गुमराह कर रहे हैं। निगमायुक्त के आदेशों को भी मानने से इंकार कर उद्यान प्रभारी योगेन्द्र गंगराड़े द्वारा जिस काम का भुगतान पूर्व में हो चुका है अब उसका काम प्रारंभ कर रहे हैं। जब इन स्थानों की जानकारी मांगी गई तो उसे प्रमाणित नहीं की वह सिर्फ इसलिए क्योंकि उन पैसों का भ्रष्टाचार करके बंदरबाट कर ली गई। गेहलोत ने बताया कि गंगराड़े का कहना है कि कोई कुछ भी कर ले हम अधिकारियों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हो क्योंकि नगर निगम लाखों रूपये वकीलों को देता है वे सब निपट लेंगे वकील तारीख आगे बढ़ाते रहेंगे केस सालों चलेगा। वहीं भ्रष्टाचारी का पैसा बंगले तक जाता है। 
चक्कर कटवाते रहे, जानकारी देने से बचते रहे
23 जुलाई 2018 को वार्ड 47 स्थित उद्यानों में हुए कार्यों की जानकारी विधिवत शुल्क अदा कर नगर निगम से मांगी थी। 21 अगस्त को जब नगर निगम गए तो संबंधित विभाग द्वारा जानकारी नहीं दी गई तब 24 अगस्त 2018 को पुनः संबंधित उद्यानों में हुए कार्य की फोटोप्रति भी संलग्न कर शीघ्र जानकारी मांगी। इसके बाद से उद्यान विभाग में लिपिक पद पर पदस्थ मुकेश सिंगारिया द्वारा कहा गया कि उद्यान प्रभारी योगेंद्र गंगराड़े से फोन लगाकर बात कीजिये वे कह देंगे तो नकल निकल जाएगी किंतु गंगराड़े का फोन नहीं लगा। लगातार चक्कर काटने के बाद 24 सितंबर को जानकारी देने के पहले 1020 रूपये का चालान जमा करवाया गया। इसके बाद झोन क्रमांक 6 के प्रभारी पीसी यादव एवं उद्यान के झोन प्रभारी श्रीवास्तव ने कहा कि जानकारी योगेन्द्र गंगराड़े ही देंगे। इसके बाद लगातार चक्कर लगाते रहे और 28 सितंबर को छायाप्रति सील लगाकर दे दी उस पर हस्ताक्षर करने को कहा गया तो उद्यान विभाग के प्रभारी गंगराड़े ने कहा मैं हस्ताक्षर नहीं करूंगा। सूचना का अधिकार में जानकारी मांगने वाले मेघराज गेहलोत ने बताया कि जो छायाप्रति दी गई है वह अधूरी एवं भ्रामक है क्योंकि उसमें दूसरे वार्ड की फोटो प्रति दे दी है जब यह बात गंगराड़े को बताई तो उन्होंने दुर्व्यवहार करते हुए वहां से हमें भगा दिया तथा धमकी दी कि ना तो हस्ताक्षर करूंगा और ना अब कोई जानकारी दूंगा। 

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