लोकतंत्र अपनाएंगे, नोटा नहीं दबाएंगे, डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने युवाओं को दिलाया संकल्प
उज्जैन। नोटा का अर्थ है नन ऑफ दा एबन यानी इनमें से किसी को नहीं। भारत निर्वाचन आयोग ने इसे 2015 से देश में लागू किया है जिसका एकमात्र संदेश होता है कि कितने प्रतिशत मतदाता किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में नोटा विरोध प्रदर्शन का माध्यम हो सकता है किंतु सिर्फ इतनी सी बात के लिए हम अपने अमूल्य संवैधानिक मौलिक अधिकार यानी मताधिकार का प्रयोग नोटा दबाकर अपने वोट को मृत घोषित कराएं यह उचित नहीं है। यह किसी राष्ट्रीय समस्या का समाधान भी नहीं हो सकता। उल्टे जीत के मतों के अंतर से अधिक नोटा मत होने की स्थिति में पुनर्मतदान की स्थिति भी निर्मित हो सकती है जो कि लोकधन के दुरूपयोग का कारण बनेगी। नोटा से कोई लाभ नहीं है उल्टे लोग इसे राइट टू रिजेक्ट भी मानते हैं। कानूनन नोटा को मिले मत अयोग्य हैं अतः इसका प्रयोग विवेकपूर्ण नहीं है।
उक्त बात कांतिकारी संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने युवाओं को शपथ दिलाते हुए लोकतंत्र अभियान के श्रीगणेश अवसर पर कही। अभियान के मुख्य केन्द्र में युवा रहेंगे जो कि अपना अमूल्य वोट प्रथम बार डाल रहे हैं। इसमें स्कूल व कॉलेज के युवाओं को व सामान्य मतदाताओं को भी जागृत किया जाएगा। अभियान के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जाएगा। अवधेशपुरी महाराज ने मतदाताओं से अपील की है कि अपने मताधिकार का सदुपयोग कर उपलब्ध में से किसी योग्य उम्मीदवार का चयन करें तथा नोटा का बहिष्कार करें तभी लोकतंत्र की रक्षा होगी। इस राष्ट्र देव को प्रसन्न करने के लिए इदं राष्ट्राय इदंन्नममः की भावना से अपने वोट रूपी आहूति लोकतंत्र के इस महायज्ञ में डाले। नोटा रूपी राख में नहीं। मतदान राष्ट्र का महोत्सव है इसमें उत्साह के साथ शत प्रतिशत मतदाता भाग लें।