सेवाधाम में हुआ नानीबाई का मायरा, बाप बेटी से पवित्र कोई रिश्ता नहीं- पु. शुक्ल
उज्जैन। जब संसार में अपने ही निर्दयी हो जाते हैं और सगे संबंधी ही अत्याचार पर उतर आते हैं तब भगवान अपने भक्त की न सिर्फ रक्षा करते हैं बल्कि उसे संरक्षण भी देते हैं। जूनागढ़ के धनाढ्य परिवार में जन्म लेने वाले नृसिंह मेहता की भी यही कहानी है, नानी बाई का मायरा की कथा सुनाते हुए पं. गोपालकृष्ण शुक्ल ने कहा कि जिसके जीवन की डोर परमात्मा अपने हाथ में ले लेते हैं उनका जीवन तर जाता है। संसार की यात्रा की गाड़ी जब अटक जाए तो संतो ंके धक्के से यात्रा पूर्ण होती है।
सेवाधाम आश्रम में आयोजित एक दिवसीय कथा में पं. शुक्ल ने कहा कि नृसिंह मेहता को कदम कदम पर तिरस्कृत किया गया, उसका अपमान किया लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने हर बार उसका न सिर्फ साथ दिया बल्कि विरोधियों का मुंह बंद किया। आपने कथा के दौरान कहा कि संसार में यदि कोई रिश्ता पवित्र है तो यह बाप-बेटी का है। एक बार बाप अपने जवान बेटे की लाश देखकर नहीं रोयेगा लेकिन बेटी की विदाई पर संसार का ऐसा कोई बाप नहीं होगा जो न रोये। पद और मद में आज मनुष्य मदमस्त होकर व्यक्ति अपने कर्म भूल गया है। संवेदनाओं की मौत हो गई है। गरीब और असहाय व्यक्ति का रूदन भी उसे सुनाई नहीं देता, कलयुग में जब स्वार्थ से वशिभूत मानव, तिरस्कार, अपमान और किसी भी बेइज्जती कर अपना स्वार्थ पूरा करने में लगा है, इसी कलयुग में राजस्थान के जूनागढ़ के नृसिंह मेहता के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने न सिर्फ अनेक अवतार लिए बल्कि यह संदेश भी दिया कि भक्त यदि पूरे विश्वास और भक्ति के साथ प्रभु को पुकारे तो प्रभु को भी भक्त के विश्वास का मान रखना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार जिस तरह गरीबी में दिन गुजार रहे नृसिंह मेहता की पोती का मायरा भरने भगवान खुद प्रकट हुए और आज से लगभग 500 साल पहले 51 हजार करोड़ का मायरा भरा।