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कल्कि जयंती: बिना जन्‍म लिए ही पूजा जाता है भगवान विष्‍णु का ये अवतार


हिन्दू धर्म में हर दिन कोई न कोई व्रत-त्योहार जरूर मनाया जाता है। इन व्रत-त्योहारों के अलावा भगवान के अवतार दिन पर उनका खास दिन होता है। जिसे भारत में बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के त्रेता, सतयुग और द्वापर युग में अब तक नौ अवतार हो चुके हैं और दसवें अवतार का इंतजार चल रहा है। पुराणों के अनुसार जब कलयुग अपने चरम पर होगा तब भगवान अपने दसवें अवतार में भगवान कल्कि रूप में इस पृथ्वी पर अवतरित होंगे। पुराणों में बताया गया है कि भगवान कल्कि सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जन्म लेंगे और कलयुग का अंत कर एक नई रचना गढ़ी जाएगी। इसी को आधार बनाकर हर साल सावन माह में शुक्ल पक्ष को कल्कि जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2018 में कल्कि जयंती मनाई जाएगी। 

इस स्थान पर होगा जन्म
शास्त्रों के अनुसार कलयुग के अंतिम दौर में भगवान विष्णु अपने दसवें अवतार के रूप में कल्कि भगवान का अवतार लेंगे। उनका यह अवतार कलियुग और सतयुग के संधि काल में होगा जो 64 कलाओं से युक्त होगा। पुराणों के अनुसार भगवान कल्कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के संभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नाम के एक ब्राह्राण परिवार में होगा। भगवान कल्कि सफेद घोड़े पर सवार होकर पापियों का नाश करके फिर से धर्म की रक्षा करेंगे।

इस घटना का जिक्र श्रीमद्गागवत महापुराण के 12वें स्कंद के 24वें श्लोक में कहा गया है जिसके अनुसार गुरु,सूर्य और चन्द्रमा जब एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तो भगवान कल्कि का जन्म होगा।
सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।   

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कल्कि का अवतरण कलियुग के अन्तिम समय में होगा। इनके अवतार लेते ही सतयुग का आरम्भ होगा। भगवान कृष्ण के प्रस्थान से कलियुग की शुरूआत हुई थी। नन्द वंश के राज से कलियुग में वृद्धि हुई, वहीं भगवान कल्कि के अवतार से कलियुग का अन्त होगा। कलयुग की अवधि 4,32,000 वर्ष बताई गई है। वर्तमान में कलियुग के 5,119 साल पूरे हो चुके है।

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