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भूख है, हमें भूख है बस जिस्म की, उसे दर्द है तो होने दो, वो चिखती है रोने दो



अभिव्यक्ति मंच से ली मासूम चीखों के गुनाहगारों के खिलाफ अपना सुरक्षा चक्र बनाने की शपथ
उज्जैन। भूख है हमें भूख है, भूख है बस जिस्म की, उस जिस्म में लिप्त हो चाहे किसी की बहन या बेटी, भूख है हमें भूख है। उसे दर्द है तो होने दो, वो चिखती है उसे रोने दो, उम्र उसकी तीन साल, होने तो, होने दो। बस यही है फायदा किसी से कुछ ना बोलेगी, भूख है हमें भूख है। वो लूटते, खसोटते, वो नोचते वो बांटते, आदमी के भेस में छुपे हैं सारे भेड़िये।
मासूम बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले समाज में घुसे भेड़ियों के खिलाफ अभिव्यक्ति मंच से उक्त पंक्तियां जय उज्जैन से जुड़े युवाओं ने सुनाते हुए आम जन से इन भेड़ियों को खींचकर सबके सामने लाने की अपील की। संयोजक राजेश अग्रवाल के अनुसार शहीद पार्क स्थित अभिव्यक्ति मंच पर अमर शहीद जवानों को पुष्पांजलि कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। मंच से मिलन पंड्या, नक्षत्रा निगम, परि राठौर, शैली पांचाल, इंद्राणी पंवार, मनान कुरैशी, ललित परमार, तिनष्क नागर, प्रिंस, करण सहित शहर की प्रतिभाओं ने प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर रमेशसिंह सिसौदिया, हितेश काले, विकास भार्गव, हेमंत नागर, श्रीनाथ चौधरी, सपन कोटवानी, मुर्तजा अली जीनवाला, संजय सोनी, कैलाश काबरा आदि उपस्थित थे। मंच से जय उज्जैन के अनुज बिस्वास, हर्ष मेहता, निशिद्ध शुक्ला, आदर्श जादौन, प्रवीण सोनी ने ‘मासूम चीखें’ नाटक के माध्यम से देशभर में हो रहे मासूमों के साथ दुष्कृत्य को बयां किया। नाटक में बताया कि सोचकर अजीत लगता है और डर भी कि यह बात पहले मेरे देश में थी, फिर राज्य में फिर शहर से मोहल्ले तक पर इन सारी हैवानियत से मेरा घर तो अभी तक बचा है। तो क्या इंतजार करना चाहिये इनके फिर से होने का। आप चुप रहना चाहे तो रह सकते हैं पर मैं तो अब बोलूंगा और मंच के समक्ष उपस्थित सैकड़ों लोगों ने शपथ ली कि हम सब बोलेंगे। भारत में हर रोज औसतन 50 बलात्कार होते हैं। मतलब हर घंटे में दो बलात्कार। यदि 2017 की रिपोर्ट माने तो 818 मामलों के साथ महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर, उत्तरप्रदेश 1088 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर और हमारे मध्यप्रदेश में 1262 मामले बलात्कार के सामने आए हैं। ये सारे मामले तो वो हैं जो थानों में दर्ज हैं, पर उन मामलों का क्या जो थानों तक पहुंच ही नहीं पाए या दबा दिये गये। 
बेटियों के लिए हम बनाएं सुरक्षा कवच
किसी बेटी का पिता हर जगह नहीं हो सकता और कोई भी बच्ची अपने पिता के पास हर वक्त नहीं हो सकती। मगर जहां एक बेटी होती है वहां एक मर्द भाई या पिता के रूप में जरूर मौजूद होता है। आप किसी और की बच्ची को सुरक्षा उपलब्ध करवाएं। कोई आपकी बेटी की सुरक्षा करेगा। आईये आप और हम मिलकर हमारा सुरक्षा कवच बनाए और साथ मिलकर शपथ लें। 

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