समाज निर्माण शाखाओं को बचाना और व्यक्ति-परिवार निर्माण जड़ों को पोषित करना है
उज्जैन। गायत्री शक्तिपीठ पर रविवार को पर्यावरण संरक्षण और नैतिक मूल्यों की स्थापना विषय पर कार्यशाला में व्यक्तिगत उद्वोधनों और समूह चर्चा से यह निष्कर्ष निकला कि समाज निर्माण शाखाओं को कटने से बचाने जैसा है जबकि व्यक्ति-परिवार निर्माण जड़ों को पोषित करना है। जब जड़े मजबूत होंगी तभी वृक्ष अच्छी तरह से बढ़ सकता है पल्लवित पुष्पित और फलित हो सकता है। संस्कार, संस्कृति, विश्वास और आस्था रुपी जल से ही इन जड़ों को पोषित किया जा सकता है।
पर्यावरण के संबध में भी वक्ताओं ने कहा कि व्यक्ति के नैतिक मूल्यों में गिरावट पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। कार्यशाला में प्रथम वक्ता के रूप प्रो. एन. के. गर्ग ने व्यक्ति, परिवार और समाज निर्माण के लिए युगऋषि वेदमूर्ती तपोनिष्ठ पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी के सूत्रों की उपयोगिता बताई। नैतिक मूल्यों की स्थापना बिषय पर व्याख्यान देते हुए प्रो. गीता नायक ने बताया कि नीति का अर्थ पथ प्रस्सत करना या मार्ग में ले जाना है। नैतिक, जीवन और मानवीय मूल्यों की स्थापना से ही व्यक्ति, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों की स्थापना संभव है। सिंहस्थ प्राधिकरण अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू जी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण और और नैतिकता दोनों पर्याय हैं और व्यक्ति में सकारात्मक सोच से ही इनका विकास होता है। अतः अपने आप में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयासरत रहिये। डी. एफ. ओ. उज्जैन श्री पी. एन. मिश्रा ने कार्यशाला में वृक्षारोपण के लिए प्रेरक उद्वोधन देते हुए कहा कि प्रकृति का प्यार पेड़ों और प्रवाहमान जल के सानिध्य से ही पाया जा सकता है। ऐसी ही जगहों को हम घूमने जाने के लिए प्राथमिकता देते हैं। ’आपने चिंतित करने बाले आंकड़े बताए जिसके तहत उज्जैन जिले में केवल 0.6 प्रतिशत क्षेत्रफल में वन हैं’ इस लिए यहां आने वाले ज्यादातर वन अधिकारी जल्दी स्थानांतरण करबाकर चले जाते हैं कि यहाँ कोई काम ही नहीं है। लेकिन हमने क्षिप्रा मॉ के बिखरे - बिखरे आंचल को देखा तो संकल्प लिया है कि मॉ के किनारे पर हरित चुनरी चढ़ाएंगे प्रयास जारी हैं। हम तो एक वर्ष से यहां आए हैं और क्षिप्रा की स्थिति से व्वथित हूँ, आपका तो जन्म ही यहाँ हुआ है तो बैचेनी क्यों नहीं हो। क्षिप्रा किनारे एक लाख पौधों का रोपण किया जाना है आप अपने स्तर पर संस्था के स्तर पर इस महान कार्य में सहयोगी बनें यही अनुरोध है।नगर के पर्यावरण प्रेमी श्री केशव त्रिपाठी ने इस अवसर बताया कि नीम का पौधा लगाने बाला वेरोजगार नहीं रहता, यदि घर का बड़ा बेटा पीपल का पेड़ लगाता है तो उसकी माँ सदा निरोगी रहती है।
नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए आयोजित समूह चर्चा का संचालन डाँ अक्षय आचार्य ने किया जिसमें शिक्षण संस्थानों की ओर से श्रीमती श्वेता प्रियदर्शी, श्वेता आचार्य, यामिनी व्यास, रजनी पड्या, तनुजा कद्ररे, अशोक परमार, मीणा मोघे गायत्री परिवार की ओर से नीति टंडन. उर्मिला तोमर, माधुरी सोलंकी, कृष्णा चौहान, आरती राणावत, सुमन ठाकुर, रेखा सिकरवार, संगीता राय, शारदा ठाकुर, मिथिलेश चौहान, सुभाष गुप्ता, देवेन्द्र श्रीवास्तव, श्याम श्रीवास, मिश्रीलाल मिश्र, पालीटेक्निक कालेज के छात्रों ने भी समूह चर्चा के विंदुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला का संयोजन डाँ शशिकांत शास्त्री ने किया। इसमें नगर के अनेक शिक्षाविदों के साथ करीब 180 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
जितेंद्र प्रजापति ने पंचकोसी मार्ग पर अपने प्रयास से 25 पौधों के रोपण, संरक्षण, श्री दीपक शर्मा ने बाफना पार्क कालोनी में 10, श्रीमती रेखा - अनिल गर्ग ने विवाह दिवस के अवसर पर पौधे लगाने के संकल्प के लिए सम्मानित कर पौधे प्रदान किए गए।अंत में प्रतिभागियों से पर्यावरण संरक्षण ज्ञान परीक्षा ली गई जिसके लिए 25 प्रश्नों बाला प्रश्न पत्र दिया गया। शासकीय बालिका निराश्रित गृह लालपुर की अधिक्षिका मीणा मोघे को संस्था के संचालन के लिए गायत्री परिवार उज्जैन की ओर से 25 हजार रुपये की राशि भेंट की गई। कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन और गायत्री माता और गुरुदेव के पूजन से हुआ। स्वागत भाषण श्री पी. एस. बोराना ने तथा आभार उपक्षोन समन्वयक श्री राकेश कुमार गुप्ता ने व्यक्त किया।