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निगमायुक्त ने माना निगम का खजाना खाली


 

शहर के विकास कार्य प्रारंभ करने की मांग को लेकर पहुंचे कांग्रेस पार्षद दल को मिला कमिश्नर का जवाब, नगर निगम की आमदनी नहीं-कांग्रेसी पार्षदों ने कहा भाजपा बोर्ड द्वारा की जा रही फिजूलखर्ची रोको

उज्जैन। अमृत मिशन योजना के नाम पर निगमायुक्त ने विकास कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जबकि इस योजना को धरातल पर उतरने में एक साल लगेगा। जिसके कारण नगर निगम की हो रही अराजक स्थित, आम नागरिकों को हो रही परेशानी तथा विकास कार्य प्रारंभ करने की मांग को लेकर कांग्रेस पार्षद दल शुक्रवार को निगमायुक्त से मिला। यहां निगमायुक्त ने पार्षदों से स्पष्ट कहा कि नगर निगम की आमदनी नहीं हो रही है, ठेकेदारों का पेमेंट नहीं हुआ तो निर्माण कार्य कैसे होंगे। कांग्रेसी पार्षदों ने निगमायुक्त से भाजपा बोर्ड द्वारा की जा रही फिजूलखर्ची रोकने की मांग करते हुए शहर के विकास कार्यों पर जोर देने की मांग की साथ ही निगम सभापतिस सोनू गेहलोत को भी ज्ञापन देकर नगर निगम का सम्मेलन बुलाने की मांग की। 

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि नगर निगम की परिषद में निर्णय हुआ है कि निर्माण कार्य न रोके जाए इसके बावजूद निर्माण कार्य रोके गए हैं। पूर्व आयुक्त ने निर्माण कार्य प्रारंभ किये थे वर्तमान आयुक्त ने निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाकर परिषद के आदेशों की अवहेलना की है। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि नगर निगम का वित्तीय बजट वर्ष 2018-19 को लेकर 28 मार्च को सम्मेलन हुआ तब से आज तक दो माह से ज्यादा समय बीत गया लेकिन सम्मेलन नहीं बुलाया गया। जबकि कामगाज संचालन हेतु नगर निगम अधिनियम की धारा 27 में यह प्रावधान है कि निगम अपना कामकाज करने के लिए प्रत्येक दो माह में कम से कम एक बार सम्मेलन करेगा और प्रत्येक समिति अपना कामकाज करने के लिए प्रत्येक माह में कम से कम एक बार सम्मेलन करेगी। वहीं 28 मार्च को स्वीकृत हुए वित्तीय बजट के दो माह बीत जाने के बाद भी नगर निगम में पार्षद मद से संबंधित निर्माण कार्य स्वीकृति के अभाव में प्रारंभ नहीं हो पा रहे हैं। जिसके कारण समस्त वार्डों के अतिमहत्वपूर्ण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शहर एवं वार्डों में विकास कार्य प्रारंभ नहीं होने से वार्डों की जनता को मूलभूत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शहर के अधिकांश वार्डों में समस्याओं का अंबार है। कई मोहल्ले, कॉलोनियों में पहुंच मार्ग नहीं है, स्ट्रीट लाईट नहीं है, सार्वजनिक शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। कई ऐसे वार्ड हैं जिनमें गांव क्षेत्र शामिल है एवं गंदी बस्तियां, अनूसुचित जाति, जनजाति वार्ड जहां पर अधिकांश गरीब मध्यमवर्गीय परिवार के रहवासीगण निवास करते हैं जहां विकास कार्य की अत्यंत आवश्यकता है। ऐसे वार्ड जहां ग्रामीण क्षेत्र लगते हैं वहां भी विकास कार्य किया जाना आवश्यक है एवं ऐसे वार्ड जहां आज भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के साथ कांग्रेसी पार्षद माया राजेश त्रिवेदी, जफर एहमद सिद्दीकी, आत्माराम मालवीय, गुलनाज नासिर खान, सपना सांखला, हिम्मतसिंह देवड़ा, रेखा गेहलोत, हेमलता गब्बर कुवाल, मीना जितेन्द्र तिलकर, ताराबाई मालवीय आदि ने बारिश के पूर्व शहर के छोटे बढ़े नालों की सफाई व्यवस्था, जल भराव वाले क्षेत्रों पर भी चर्चा की। साथ ही चेतावनी दी कि निर्माण कार्य शीघ्र स्वीकृत किये जाएं अन्यथा नगर विकास के लिए कांग्रेस सड़कों पर उतरेगी।

सीवरेज प्लान धोखा, धरातल पर उतरने में लगेगा एक साल

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि अमृत मिशन धोखा है, सीवरेज प्लान कागजों पर है और धरातल पर उतरने में इसे एक साल लगेगा। अमृत मिशन योजना के अंतर्गत अंडर ग्राउंड सीवरेज प्लान 8 माह पूर्व मंजूर हुआ था और इस संपूर्ण प्रोजेक् को अनुबंध के अनुसार 24 माह में पूर्ण करना है अवधि बढ़ने के कारण प्रोजेक्ट कास्ट बढ़ती है तो अतिरिक्त राशि की व्यवस्था नगर निगम को करना होगी। वर्तमान में टाटा कंपनी को कार्य दिया गया है और केवल सुरासा गांव में ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य चल रहा है। बेपकाफ कंपनी ने अपने प्रजेंटेशन में बताया था कि पूरे शहर के नालों का पानी नदी किनारें ग्रेवेटी सिस्टम से होकर ट्रीटमेंट प्लांट तक जाएगा। टाटा कंपनी ने अपनी नई डिजाईन बनाई और उसमें शहर के नालों के पानी को बाहर ले जाने के लिए दो पंपिंग स्टेशन बनाई जाने की आवश्यकता बताई है। पंपिंग स्टेशन की उंचाई नदी किनारे होने के कारण बहुत उंचाई तक बारिश के पानी को देखते हुए ले जाना होगी और इलेक्ट्रिक आदि की व्यवस्था हेतु परेशानी होगी। वर्तमान में मंछामन में जो पंपिंग स्टेशन है बारिश के समय मोटर उसकी निकाल लेते हैं। पंपिंग स्टेशन से नगर निगम की करोड़ों रूपये की कास्ट बढ़ेगी और मेंटनेंस में अतिरिक्त व्यय होगा। अभी तक अंडर ग्राउंड सीवरेज प्लान फाईनल नहीं हुआ है और अगर माह दो माह में प्लान फाईनल होता है तो नदी किनारे प्रथम चरण में जो कार्य होगा उसमें एक वर्ष का समय लगेगा। ऐसी स्थिति में वर्तमान में नगर के महत्वपूर्ण विकास कार्य को रोकना उचित नहीं है। कांग्रेस पार्षद दल ने मांग की कि सीवरेज प्लान ऐसा हो जिससे अतिरिक्त व्यय का भार नगर निगम पर ना हो और सीवरेज प्लान के अंतर्गत कार्य को प्रारंभ होने से एक वर्ष से अधिक समय लगेगा ऐसी स्थिति में शहर के महत्वपूर्ण विकास कार्य की स्वीकृति प्रदान की जाए। 

एक बार आप कपिला गौशाला होकर आएं

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के साथ कांग्रेस पार्षद दल ने निगमायुक्त से कपिला गौशाला में अव्यवस्थाओं के कारण मर रही गायों की व्यथा भी बयां की। पार्षदों ने कहा कि एक बार आप स्वयं कपिला गौशाला होकर आएं वहां करीब 400 गायें भूख और बीमारी से जूझ रही हैं। खाने को भूसा नहीं है, दवाईयां सेम्पल की दी जा रही है, रोज एक दो गायें मर रही हैं। पार्षदों ने प्रतिदिन एक गाय को 10 पुले खिलाने, ईलाज के लिए डॉक्टर की व्यवस्था करने, उचित किस्म की दवाईयां, पीने के पानी की व्यवस्था, बारिश में शेड में से पानी जाने की व्यवस्था करने के साथ ही प्रत्येक गायें का रिकार्ड रखा जाने तथा डॉक्टर का रजिस्टर भी गौशाला में रखे जाने की मांग की। 

निगम मुख्यालय और झोनों पर नहीं मिलते अधिकारी कर्मचारी 

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार नगर निगम मुख्यालय एवं झोनों में अधिकारियों, कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। मुख्यालय एवं झोनों में अपने कार्यों को लेकर आने वाले शहर के नागरिकों को संबंधित अधिकारी, कर्मचारी विभाग में नहीं मिलने के कारण विभागों के चक्कर लगाने हेतु मजबूर होना पड़ रहा है। कांग्रेसी पार्षदों ने कहा कि अधिकारी, कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण वार्डों के भी कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण निर्माण कार्यों के स्टीमेंट नहीं बने हैं, जो स्टीमेंट बन गये हैं उन पर अधिकारी के हस्ताक्षर होना बाकि है परंतु अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण विभागों के कार्य ही नहीं हो पा रहे हैं। निगमायुक्त से झोनों, मुख्यालयों में अधिकारियों कर्मचारियों की अनुपस्थिति के संबंध में ठोस कार्रवाई की मांग की। 

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