सरकार ने लिया यूजीसी को खत्म करने का फैसला, शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने बनेगा नया आयोग
नई दिल्ली. उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी यूजीसी को खत्म करने का ऐलान किया। उच्चतर शिक्षा संस्थानों के रेगुलेशन के लिए अब एचईसीआई यानी हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बनेगा। इसके लिए साल 1951 का यूजीसी एक्ट खत्म करके एचईसीआई एक्ट, 2018 लागू किया जाएगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को नए एक्ट का ड्राफ्ट जारी किया। नए आयोग को दाेयम दर्जे के और फर्जी शिक्षण संस्थान बंद करवाने की शक्तियां भी दी जाएंगी। इसका आदेश नहीं मानने वाले संस्थानों के प्रबंधन को तीन साल तक की जेल हो सकेगी।
कई कमेटियां यूजीसी के तौर-तरीकों को रोड़े अटकाने और घुटनभरा तक बता चुकी हैं। उच्चतर शिक्षा को लाल फीताशाही और सुस्ती से मुक्ति दिलाने के लिए प्रो. यशपाल कमेटी, नेशनल नॉलेज कमीशन और हरि गौतम कमेटी ने यूजीसी को खत्म कर सिंगल एजुकेशन रेगुलेटर बनाने की की सिफारिश की थी। एचआरडी मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार यूजीसी सिर्फ ग्रांट्स जारी करने में ही उलझा रहता है। संस्थानों की मेंटरिंग, रिसर्च पर फोकस और गुणवत्ता के मानकों पर ध्यान नहीं दे पाता। एचईसीआई सिर्फ एकेडमिक मामलों पर फोकस करेगा। आर्थिक अनुदान के मामले मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में रहेंगे।
नया आयोग क्या करेगा?:कोर्सेज का लर्निंग आउटकम तय करेगा। टीचिंग, असेसमेंट, रिसर्च से जुड़े पहलुओं के मानक बनाएगा। ज्यादा लचीलेपन और स्वायत्तता के साथ संस्थान खोलने और बंद करने और अहम पदों पर नियुक्तियों के मानक तय करेगा। फैकल्टी को परफॉर्मेंस के अनुसार इंसेंटिव, फीस और दाखिलों के नियम भी बनाएगा। हर साल उच्चतर शिक्षा संस्थानों की परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करेगा। जो संस्थान मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे उनकी मेंटरिंग होगी। मानकों का पालन नहीं करने वाले संस्थानों को बंद करने का आदेश दे सकेगा।
नए आयोग के आदेश यूजीसी से कैसे अलग होंगे?:एकेडमिक गुणवत्ता लागू करवाने की शक्तियां दी गई हैं। फर्जी संस्थानों से जुड़े सदस्यों के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है। इसमें तीन साल की जेल और जुर्माना शामिल है। यूजीसी सिर्फ फर्जी संस्थानों की सूची जारी करता है,कोई एक्शन नहीं ले सकता। पहले एआईसीटीई, एनसीटीई और यूजीसी को मिलाकर एक रेगुलेटर बनाने की योजना थी। लेकिन तकनीकी बिंदुओं पर पेच फंस रहे थे। इसलिए पहले उच्चतर शिक्षा की क्वालिटी सुधारने पर फोकस किया गया। आगे एचईसीआई की तर्ज पर एआईसीटीई और एनसीटीई में भी बदलाव किए जाएंगे।
सरकार ने 7 जुलाई तक मांगे सुझाव:ड्राफ्ट के कानून में बदलने के बाद ही आयोग अस्तित्व में आएगा। सरकार ने अभी 7 जुलाई तक ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आैर सुझाव मांगे हैं। मोदी सरकार का कार्यकाल एक साल से भी कम बचा है। ऐसे में बिल जल्दी पारित करवाने के प्रयास होंगे। चर्चा है कि इसे मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। हालांकि, राज्यसभा में इसे पास करवाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती रहेगी।