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शासन से मिलने वाली सुविधाओं से किसान वंचित


ujjain @ वर्ष 1976 में शहर के आसपास की सारी जमीन में से कुछ बीघा छोड़कर शासन ने अपने नाम से कर ली। जबकि शहरी सिलिंग के नियमानुसार जिस भूमि पर खेती न होती हो वह भूमि सिलिंग की मानी जाती है। यह बात कृषक शहरी सिलिंग भूमि मोर्चा के अध्यक्ष केशवराम जागीरदार ने कही। उन्होंने कहा वर्ष 2000 में मप्र विधानसभा द्वारा किसानों के नाम से खाते की गई जमीन को पुन: उनके खाते में दर्ज करने के संबंध में प्रस्ताव पारित किया था लेकिन आज तक इस संबंध में मप्र सरकार द्वारा कोई कदम न उठाते हुए किसानों को शासन से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित कर रखा है।

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