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गायत्री साधकों ने संकल्प लिया ‘वयं राष्ट्रे जाग्रयाम पुरोहिताः’



150 से अधिक स्थानों पर साधकों ने, 400 से अधिक घरों में याजकों ने कराए दीपयज्ञ
उज्जैन। आज की जरूरत है कि गायत्री-साधना विचार क्रांति का रूप ले। आज की
जरूरत है कि ‘वयं राष्ट्रे जाग्रयाम पुरोहिताः- अर्थात हम सब गायत्री
साधक राष्ट्र के पुरोहित बनें, पहले राष्ट्र कल्याण की बात सोचें, हमारे
अनुष्ठान राष्ट्र निर्माण के अनुष्ठान हों तथा जीवन निर्माण के अनुष्ठान
हों। अगर ऐसा हो सका, अगर ऐसा हम कर सके तो हमारी गायत्री साधना की सफलता
होगी, यही हमारे निर्मल गंगा जन अभियान की सफलता होगी।
यह संकल्प उपक्षोन समन्वयक महाकालेश्वर श्रीवास्तव ने गायत्री शक्तिपीठ
पर गायत्री जयंती और वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के
महाप्रयाण दिवस के अवसर पर पर्व पूजन संकल्प के साथ उपस्थित परिजनों से
कराया। आपने  प्रदेश में सांयकाल होने वाले 51 हजार दीपयज्ञों की महत्ता
बताते हुए बताया कि गायत्री जयंती पर गायत्री माता का विश्व माता स्वरुप
अब प्रगट हो चुका है इसे घर-घर पहुंचाने के लिए यह आयोजन गायत्री जयंती
पर किए जा रहे हैं। भारत का संस्कृति सूत्र है गायत्री। प्रकाश का स्रोत,
ज्ञान का स्रोत है गायत्री मंत्र इसलिए इसे जन-जन तक पहुंचाया जाना
चाहिए। आगामी वर्षा ऋतु में पर्याप्त बर्षा हो इसी प्रार्थना के साथ वरुण
गायत्री मंत्र से आहुतियां भी समर्पित कराएं। प्रचार प्रसार सेवक
देवेन्द्र श्रीवास्तव के अनुसार सांयकाल नगर में करीब 150 से अधिक
स्थानों पर साधकों ने तथा 400 से अधिक घरों में सरल विधि से स्वयं याजकों
ने दीपयज्ञ संपन्न किए। गायत्री शक्तिपीठ, शिव मंदिर विद्या नगर, हनुमान
मंदिर विद्यापति नगर नानाखेड़ा, दुर्गा मंदिर महाशक्ति नगर में सामूहिक
दीपयज्ञ आयोजन हुए। जिले में तहसील और ग्रामीण शाखाओं में भी इसी तरह के
दीपयज्ञ बड़ी संख्या में कराए गए। इस प्रकार जिले में निर्धारित लक्ष्य एक
हजार से कहीं ज्यादा दीपयज्ञ आयोजित हुए।

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