किसान संघ ने की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विसंगतियों को दूर करने की मांग
उज्जैन। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विसंगतियों को दूर करने सहित अन्य समस्याओं के निदान की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा।
भारतीय किसान संघ प्रवक्ता भारतसिंह बैस के अनुसार अध्यक्ष राजेशसिंह सोलंकी तथा तहसील मंत्री मानसिंह चौधरी के नेतृत्व में दिये ज्ञापन में मांग की कि किसानों को फसल बीमे की रसीदे दी जावे जिससे जिस खेत में जो फसल बोई है उसका ही बीमा का उल्लेख हो ताकि किसान धोखे में न रहे। फसल बीमे की रसीद के पीेछे फसल नुकसानी के समय किान को क्या करना है उसका नियमानुसार पूरा उल्लेख किया जावे, बीमे की समस्त नियमावली भी रसीद के पीछे छपी हो। बीमा कंपनी का स्थायी कार्यालय प्रत्येक तहसील स्तर पर हो। बीमा क्लेम समय सीमा में किसानों को मिले। किसानों को जिन दो बैंकों ने ऋण दिया है वहां अगर जमीन एवं फसल ऋणलाभ से कम राशि दी गई हो तो बगैर किसान की सहमति से पूरी जमीन का बीमा नहीं किया जावे या उसका ऋणमान पूरा किया जावे। सौ प्रतिशत फसलों की नुकसानी पर बीमा क्लेम 80 प्रतिशत देने का नियम गलत है उसे 80 प्रतिशत की जगह 100 प्रतिशत किया जावे। बीज अंकुरण नहीं होने एवं बाढ़ वगैरह की स्थिति में जो राशि का प्रावधान है उसे देने के बाद क्लेम समाप्त करने का नियम भी हटाया जावे क्योंकि किसान के दूसरे सर्वे नंबर भी रहते हैं और उन खेतों में बाद में फसले भी बोई जाती है। क्लेम संबंधी बीमा कंपनी के दूरभाष नंबर सार्वजनिक स्थानों पर अंकित किये जावे ताकि किसान द्वारा शीघ्र बीमा कंपनी को सूचना दी जा सके। खाद, बीज, दवाईयों के सेंपल रिपोर्ट बहुत समय बाद आती है जब तक किसान उसका उपयोग कर चुका होता है। इन वस्तुओं के प्रमाणिक नहीं होने के कारण किसानों को उत्पादन पर बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। सेंपल व्यवस्था में शीघ्र सुधार किया जावे। जो सेम्पल अमानक पाये जाते हैं उस कंपनी को शासन, प्रशासन द्वारा दंडित किया जाता है उस स्थिति में खाद, बीज, दवाई का उपयोग करने वाले किसानों को कोई राहत नहीं मिलती। फसल नुकसानी भी कंपनियों द्वारा किसानों को दिलाई जावे। बाजार से खाद, बीज, दवाई का सेम्पल लेकर शीघ्र जांच करके अमानक पाये जाने वाली वस्तुओं को बाजार से हटाया जाये। जिन कंपनियों की खाद बीज दवाईयां अमानक पाई जाती है उसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जावे जिससे किसान सतर्क रहे। प्रत्येक विकासखंड स्तर पर मिट्टी परीक्षण केन्द्र बनाये जावे तथा प्रयोगशाला हो जिसमें किसान खरीदे गये खाद बीज दवाई का परीक्षण शीघ्र करवा सके।