कभी टीन टप्पर के घर थे, अब पक्की छत है, रसोई है और शौचालय भी
प्रधानमंत्री आवास ने बदली 53 परिवारों की जिन्दगी
उज्जैन । उज्जैन के मक्सी रोड पर स्थित योगीपुरा में रहने वाले 53 परिवारों की जिन्दगी एक झटके में बदल गई है। कभी टीन-टप्पर के मकान थे, बारिश के समय घरों में पानी टपकता था, कच्ची रसोई में खाना बनाना दुश्वार होता था, घर के बाहर सड़क पर कीचड़ मचा रहता था। प्रधानमंत्री आवास योजना में इन परिवारों में मानों एक नई उमंग एवं उत्साह भर दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रत्येक हितग्राही को ढाई लाख रूपये स्वीकृत किये गये, पक्की छतें मिली, शौचालय बन गया और महिला हितग्राहियों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी दिया गया। यही नहीं नगर निगम ने सीमेन्ट-कांक्रीट की सड़क भी बना दी है। ये सभी हितग्राही 23 जून को अपने नये जीवन की शुरूआत करेंगे, नये घरों में प्रवेश करेंगे।
नये बने हुए घर की खिड़की पर पेन्ट करते हुए नागेश हीरुजी कहते हैं कि इस योजना ने तो हमारी किस्मत ही बदल दी है। आसमान में छा रहे बादलों की तरफ इशारा करते हुए नागेश कहते हैं कि साहब जैसे पानी चढ़ता था, हमारी जान घबराने लगती थी, बच्चे कहां सोएंगे, खाना कैसे बनेगा, टपकती छत से कैसे पूरा पड़ेगा, इसी चिन्ता में लगे रहते थे। अब पक्की छत बन गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमारी हर मुसीबत को अपनी समझ कर दूर कर दिया है। हमने सपने में नहीं सोचा था कि मकान बनाने के लिये सरकार अपनी तरफ से ढाई लाख रूपये हमको देगी। यह पूछने पर कि नागेशजी आपने अपनी तरफ से कुछ पैसा मकान बनाने में लगाया है, तो वे कहते हैं कि 70-80 हजार रूपये अपनी बचत के लगाकर मकान को थोड़ा बड़ा कर लिया है। हितग्राही सुगनबाई पति कमल की खुशी छुपाए नहीं छुपती है। वे कहती हैं कि हमारे मोहल्ले में तो मानों दीवाली हो गई है। एकसाथ इतने सारे लोग पक्के घरों में रहने जा रहे हैं, किसी बड़ी कॉलोनी से कम है क्या ये। कुछ इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना कई लोगों की खुशी का कारण बनी है। जिन्होंने कभी सोचा नहीं था, उनको सरकारी जमीन के पट्टे मिल गये और उन पर मकान खड़े हो गये हैं। योगीपुरा में जिन लोगों के मकान बने हैं उनमें श्यामूबाई, जीतू, मंगल, मोहनलाल, शंकरलाल, भीमसिंह, गोरेलाल, नारायण, रघुनाथ, रमेश, शिवजी, लीलाबाई, गणपत, विक्रमसिंह, भरत, जीवन, श्रीराम, पवन, बंटी जैसे कुल 53 परिवार जो आज तक मकान की सुविधा से वंचित थे, शामिल हैं।