बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीईओ सहित छह गिरफ्तार
मुंबई। करीब 3000 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में बुधवार को बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीईओ समेत छह अधिकारी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। डीएसके घोटाले के नाम से चर्चित इस मामले में बैंक को चूना लगानेवाला पुणे का भवननिर्माता डी.एस.कुलकर्णी (डीएसके) एवं उसकी पत्नी हेमंती पहले से जेल में हैं।
डीएसके समूह को बिना जांचे-परखे 2,892 करोड़ रुपए ऋण देने के मामले में बुधवार को पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ रवींद्र मराठे, कार्यकारी निदेशक आरके गुप्ता, बैंक के पूर्व सीएमडी सुशील मुनोत, डीएसके ग्रुप के चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील घाटपांडे, समूह के इंजीनियरिंग विभाग के उपाध्यक्ष राजीव नेवासकर तथा जोनल मैनेजर नित्यानंद देशपांडे को गिरफ्तार कर लिया है।
पुणे के रियल इस्टेट कारोबारी डी.एस.कुलकर्णीऔर उसकी पत्नी हेमंती कुलकर्णी को 4000 निवेशकों से ठगी करने के आरोप में फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, दोनों पर बैंक कर्ज के 2,892 करोड़ रुपए गबन का भी आरोप है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र से कर्ज लेने के बाद अब कंपनी इसे लौटाने की स्थिति में नहीं है।
आर्थिक अपराध शाखा का आरोप है कि बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से ही डी.एस.कुलकर्णी इतना बड़ा कर्ज बैंक से लेने में कामयाब रहा। इसका नुकसान अब बैंक को उठाना पड़ रहा है। गिरफ्तार किए गए बैंक अधिकारियों के विरुद्ध बेइमानी, आपराधिक साजिश एवं धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं। डी.एस.कुलकर्णी एवं उसकी पत्नी हेमंती, दोनों फिलहाल पुणे की यरवदा जेल में हैं। 17 मई को आर्थिक अपराध शाखा उनके विरुद्ध 36,875 पन्नों का आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है।
मई में ही महाराष्ट्र सरकार इस दंपती एवं डीएसके समूह की 124 अचल संपत्तियों, 276 बैंक खाते एवं 46 वाहन जब्त करने का नोटीफिकेशन जारी कर चुकी है। महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंट्रेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (एमपीआईडी) की विशेष अदालत इस दंपती की जमानत की अर्जी खारिज कर चुकी है। पिछले वर्ष 28 अक्टूबर के बाद से 3000 से ज्यादा निवेशक पुणे, मुंबई एवं कोल्हापुर में कुलकर्णी एवं उसके परिवार के विरुद्ध कई आपराधिक मामले दर्ज करवा चुके हैं।
बताया जाता है कि डीएसके ग्रुप की फिक्स्ड डिपॉजिट योजना में 8000 से ज्यादा निवेशकों ने अपने पैसे जमा किए थे। इनमें ज्यादातर बुजुर्ग थे। कुलकर्णी अपनी आर्थिक स्थिति को उजागर किए बगैर इन निवेशकों से लगातार पैसा ऐंठता रहा। इस मामले में निवेशकों की तरफ से लड़ रहे आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुम्भार का कहना है कि बैंक अधिकारी यह जांचे बिना ही डीएसके समूह को पैसा देते गए कि दिए गए पैसे का उपयोग सही जगह हो भी रहा है, या नहीं।