अमेरिकी की यूनिवर्सिटी ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा, राजस्थान सहित 16 राज्यों में पानी में यूरेनियम का स्तर तय मानक से ज्यादा
वॉशिंगटन.राजस्थान में भूजल के बढ़ते दोहन से पानी की समस्या तो पहले ही विकराल हो चुकी है, अब अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में बेचैन करने वाला खुलासा हुआ है। राजस्थान सहित देश के 16 राज्यों के भूजल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तय मानकों से ज्यादा यूरेनियम पाया गया है। ऐसा पानी कई बीमारियों को जन्म देता है। रिसर्चर्स ने 16 राज्यों के भूजल में यूरेनियम के डेटा जुटाए और राजस्थान, गुजरात के 324 कुंओं के नए डेटा का अध्ययन किया।
प्रति लीटर 30 माइक्रोग्राम यूरेनियम की मौजूदगी वाला पानी पीने योग्य
- ड्यूक के निकोलस स्कूल ऑफ इन्वायरनमेंट के प्रोफेसर अवनेर वेंगोश ने कहा कि राजस्थान के सभी कुंओं के पानी में यूरेनियम की मात्रा डब्ल्यूएचओ और अमेरिकी इन्वायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के तय मानक से काफी ज्यादा है।
- डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रति लीटर 30 माइक्रोग्राम यूरेनियम की मौजूदगी वाला पानी पीने योग्य है। रिसर्चर्स ने नए डेटा के आधार पर यह बताया है कि भारत के भूजल में यूरेनियम की मौजूदगी बढ़ रही है। इसके बावजूद ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ड्रिंकिंग वाटर स्पेसिफिकेशंस में यूरेनियम को प्रदूषण की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है।
प्रदेश के 33 जिलों में से 26 जिले डार्क जोन में
248 भूजल ब्लॉक प्रदेश मेंं
164 डार्क जोन में
33 जिलों में से 26 जिले डार्क जोन में हैं
14 ब्लॉक्स अलवर में, सभी डार्क जोन में
13 ब्लॉक जयपुर में, 12 डार्क जोन में
क्यों बढ़ा यूरेनियम : भूजल का अत्यधिक दोहन
भूजल में प्राकृतिक रूप से कुछ यूरेनियम होता है, लेकिन भूजल के अधिक दोहन और नाइट्रेट के कारण यूरेनियम की मात्रा बढ़ रही है।
दुष्परिणाम: कैंसर और लीवर-किडनी की बीमारियां
साकेत हॉस्पिटल के निदेशक प्रवीण मंगलुनिया के अनुसार ऐसा पानी किडनी व लीवर की बीमारियां व कैंसर पैदा करता है। विकृत बच्चे पैदा होने की भी आशंका।
पीएचई का यूरेनियम ट्रेस नहीं हाेने का दावा
पीएचईडी प्रमुख सचिव रजत मिश्रा के मुताबिक, पीएचईडी के किसी भी वाटर सोर्स में यूरेनियम ट्रेस नहीं हुआ है। यह रिपोर्ट हम सरकार को सौंप भी चुके हैं। इसके अलावा भी यदि कहीं पानी में यूरेनियम पाया जाता है तो उस वाटर सोर्स को बंद किया जाएगा।