लोगों का स्वभाव, सफल व्यक्ति को नीचा दिखाने के लिए हो जाते हैं संगठित
श्रीराम कथा में सीता स्वयंवर की कथा में बोले परमहंस अवधेशपुरी महाराज-रामकथा में लगाया स्वास्थ्य शिविर
उज्जैन। भगवान शिव का धनुष तोड़ने के लिए दस हजार अहंकारी एवं एक दूसरे के विरोधी राजा संगठित होकर भी जिस शिव धनुष को नहीं तोड़ सके उसे भगवान श्रीराम ने बिना किसी अहंकार के सहजता से ही तोड़ दिया। फिर भी अहंकारी राजाओं ने सीताजी को रामजी से छिनने की कोशिश की। लोगों का यही स्वभाव होता है कि एक सफल व्यक्ति को नीचा दिखाने के लिए संगठित होकर उसका विरोध करते हैं, हालांकि ऐसे लोग फिर भी सफल नहीं होते।
उक्त विचार परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने अवधेशधाम में चल रही श्रीरामकथा में श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव में प्रकट किये। इस अवसर पर आश्रम में आशा फाउंडेशन एवं क्षत्रिय महासभा की महिला विंग द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाया जिसमें सैकड़ों लोगों ने लाभ प्राप्त किया। कथा समापन पर सुलभ शांतुगुरू, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ, अजीतसिंह, अशोक प्रजापति, हास्य कवि अशोक भाटी, हिंदू उत्सव सेवा समिति के अध्यक्ष पवन पांचाल आदि ने व्यासपीठ पर महाराजश्री का सम्मान किया तथा रामकथा आयोजन समिति एवं स्वस्तिक परिवार द्वारा स्वस्तिक दुपट्टा ओढ़ाकर अतिथियों का स्वागत किया। कथा स्थल पर लगाई स्वस्तिक प्रदर्शनी को देखने हेतु भी धर्मालुजन उमड़ रहे हैं तथा अपनी जिज्ञासा शांत कर रहे हैं।