मनुष्यों को शिक्षा देने के लिए भगवान नारायण से नर बनते हैं
उज्जैन। भगवान मनुष्यों को अपने आदर्श चरित्र से शिक्षा प्रदान करने के
लिए नारायण से नर बन जाते हैं। अवतार के पीछे रावण का वध तो दूसरा
प्रयोजन है, प्रथम प्रयोजन तो मानवता को शिक्षा प्रदान करना ही है।
प्रार्थना में वह शक्ति है कि वह नारायण को नर बना सकती है। प्रत्येक
व्यक्ति को आत्मकल्याण एवं लोककल्याण के लिए प्रतिदिन प्रार्थना करनी
चाहिये। गुरू का आशीर्वाद असंभव को भी संभव बना देता है। राजा दशरथ के
यहां चौथी अवस्था में चार पुत्रों की प्राप्ति इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
उपर्युक्त उद्गार परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने अवधेशधाम मक्सी रोड़ पर
चल रही श्रीराम कथा में व्यक्त किये। कथा में दशनाम गोस्वामी समाज मंडल
के समस्त पदाधिकारियों, महंत मंगलनाथ महेन्द्र भारती, पुजारी संतोषी माता
मंदिर, हरसिध्दि माता मंदिर, विहिप के विनोद शर्मा, महेश तिवारी, विद्या
भारती प्रांतीय सहसचिव डॉ. राजेन्द्र शर्मा, जिला प्रमुख मदनलाल राठौर,
सुधा पाठक, वीर सावरकर जन्मोत्सव समिति के पदाधिकारी, प्रेस क्लब अध्यक्ष
विशालसिंह हाड़ा, उपाध्यक्ष उदयसिंह चंदेल, मनोज तिलक, श्याम भारती, भाजपा
माधवनगर मंडल अध्यक्ष आनंदसिंह खींची, इंदौर गोस्वामी समाज से विजय आरती
आदि ने महाराजश्री का सम्मान कर आरती की। संचालन विजयगिरी गोस्वामी ने
किया।