प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग में दिया संबोधन, भारत-चीन मिलकर करें काम तो एशिया का भविष्य होगा बेहतर
सिंगापुर.नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपने विचार रखे। प्रधानमंत्री ने 36 मिनट के संबोधन में कहा कि दुनिया में अभी लोग अपनी कामयाबी और हार के लिए लोग एक-दूसरे पर निर्भर हैं। भारत और चीन मिलकर काम करें तो एशिया का भविष्य बेहतर होगा। हिंद महासागर ने ही भारत के ज्यादातर इतिहास को आकार दिया और अब ये हमारे भविष्य की कुंजी है। समुद्र के रास्ते भारत का 90 प्रतिशत कारोबार होता है और ये हमारी ऊर्जा का स्रोत है। बता दें कि पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने शांगरी-ला डायलॉग में भाषण दिया है। मोदी शनिवार को सिंगापुर में अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस से मुलाकात करेंगे। मोदी तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में गुरुवार को सिंगापुर पहुंचे। शुक्रवार को यहां नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
हजारों सालों से हम पूर्व की ओर झुकते आए हैं
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''हिंद महासागर ने ही भारत के ज्यादातर इतिहास को आकार दिया और अब ये हमारे भविष्य की कुंजी है। समुद्र के रास्ते भारत का 90 प्रतिशत कारोबार होता है और ये हमारी ऊर्जा का स्रोत है। ये वैश्विक व्यापार के लिए भी लाइफ लाइन है।''
- ''हजारों सालों से हम पूर्व की तरफ झुकते आए हैं। ये केवल सूर्योदय देखने के लिए नहीं है, बल्कि उस रोशनी की पूजा करने के लिए है, जो पूरी दुनिया पर फैली है। अब इंसान उभरते हुए पूर्व की ओर देख रहे हैं, उन उम्मीदों के साथ, जो पूरे विश्व के लिए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि विश्व का भविष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में होने वाले विकास की गहराई से जुड़ा है।''
आसियान के लिए सिंगापुर हमारा अहम पड़ाव
- मोदी ने कहा, ''आसियान के लिए सिंगापुर ही हमारा अहम पड़ाव रहा है। सदियों से सिंगापुर हमारे लिए पूर्व के लिए प्रवेश द्वार रहा है। सभी दक्षिण एशियाई देशों के साथ हमारे राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा संबंध मजबूत हो रहे हैं। भारत और चीन के बीच व्यापार और सहयोग बढ़ रहा है। दोनों देशों ने मसले सुलझाने में समझदारी दिखाई है और सीमाओं को शांतिपूर्ण रखने में सफल हुए हैं। रूस के साथ हमारी सैन्य स्वायत्तता को लेकर इंडिया फर्स्ट की कूटनीतिक साझेदारी मजबूत हुई है और ये अहम है।''
भारत खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का पक्षधर है
- मोदी ने कहा, ''दुनिया अभी अपनी कामयाबी और हार के लिए लोग एक-दूसरे पर निर्भर है। कोई भी देश अपने बल पर आकार नहीं ले सकता और ना ही इसे सुरक्षित रख सकता है। ये ऐसी दुनिया है जो हमें सीमाओं और प्रतिस्पर्धा से ऊपर उठकर साथ काम करने के लिए कह रही है। ये संभव है। मैं आसियान को इसके उदाहरण और प्रेरणा के तौर पर देखता हूं।''
- ''मुझे विश्वास है कि अगर भारत और चीन भरोसे के माहौल में मिलकर काम करें तो विश्व और एशिया का भविष्य बेहतर होगा। भारत स्वतंत्र, खुले, संगठित हिंद-प्रशांत क्षेत्र का पक्षधर है, हमें विकास और खुशहाली के साझा उद्देश्य से बांधता है। इस क्षेत्र के सभी देश इसमें शामिल है और इसकी सीमाओं से बाहर के वो देश भी, जिनका हित इससे जुड़ा है।''
- ''प्रतिद्वंद्विता स्वाभाविक बात है, लेकिन ये युद्ध में नहीं बदलनी चाहिए। मतभेद को कभी भी विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए। जब हम मिलकर काम करेंगे तो मौजूदा समय के वास्तविक खतरों से निपट सकेंगे।
समुद्र हमारे रिश्तों का भविष्य है
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''वैदिक काल से भारत की सोच में समुद्रों का अहम स्थान रहा है। वेदों में वरुण को अहम स्थान मिला है, जो समुद्रों और जल के देवता हैं। भारत का जिक्र भी वेदों में समुद्र का वर्णन करते हुए दिया गया है। यही समुद्र हमारे रिश्तों का भविष्य है।''
- ''मल्लका पोर्ट और दक्षिण चीन समुद्र हमें प्रशांत महासागर से जोड़ता है और हमारे सबसे अहम सहयोगियों से भी। 3 साल पहले मैंने मॉरिशस में सागर के जरिए हमारा उद्देश्य समझाया था। सागर मतलब सिक्युरिटी, ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन।''
सिंगापुर के साथ कारोबार, निवेश बढ़ाने पर चर्चा
- नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में गुरुवार को सिंगापुर पहुंचे। शुक्रवार को उनकाप्रेसिडेंशियल पैलेस में औपचारिक स्वागत हुआ। प्रधानमंत्री ने सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब और प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग मुलाकात की। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, निवेश, कनेक्टिविटी और टेक्नोलॉजी बढ़ाने पर चर्चा हुई।
- साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी ने कहा कि सिंगापुर, भारत में एफडीआई का प्रमुख स्रोत है। भारतीय कंपनियां सिंगापुर का इस्तेमाल एक स्प्रिंग बोर्ड की तरह करती हैं। इसके बाद मोदी ने नानयांग टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में छात्र और प्रोफेसरों के साथ संवाद भी किया। (