पीएम मोदी आज जाएंगे सिंगापुर और इंडोनेशिया के 5 दिन दौरे पर
नरेंद्र मोदी 29 मई को सिंगापुर और इंडोनेशिया के 5 दिन के दौरे पर जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री इस दौरान दोनों देशों के नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसमें रक्षा समेत कई अहम मुद्दों पर करार हो सकते हैं। मोदी का यह इंडोनेशिया का पहला और सिंगापुर का दूसरा दौरा है। मोदी की यात्रा को लेकर दैनिक भास्कर ने विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह से बात की। उनके मुताबिक मोदी के इन दो देशों के दौरे का मकसद जहां एक तरफ चीन पर लगाम कसना है वहीं भारत को कारोबार और रक्षा के क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी।
इन वजहों से हो रहा मोदी का दौरा
- रहीस सिंह के मुताबिक, "2015 में सिंगापुर से ही एक्ट ईस्ट पॉलिसी की घोषणा हुई। 1991 में लुक ईस्ट पॉलिसी का ऐलान हुआ। इसका मतलब था कि पूर्वी देशों की संस्कृति-सभ्यता, सुरक्षा को देखना और उनके करीब जाना। चूंकि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। लिहाजा हम एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर आ गए ताकि पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से बेहतर संबंध बन सकें"
इंडोनेशिया अहम क्यों?
- "दरअसल चीन का एक न्यू मैरीटाइम सिल्क रूट है, वो इंडोनेशिया के मलक्का से अफ्रीका के जिबूती तक जाता है। यानी एक तरह से ये रूट भारत को घेरता है।
1. भारत इंडोनेशिया से इसी तरह का समझौता करने जा रहा है कि दोनों देशों के बीच ट्रेड-डिफेंस गलियारा बनेगा। अगर इंडोनेशिया के साथ हमारा बेहतर तालमेल होता है तो हम चीन के मैरीटाइम सिल्क रूट को काउंटर कर पाएंगे।
2. चीन पाक, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार-फिलीपींस पर नजर जमाए हुए है। अगर हमारे साथ इंडोनेशिया आ जाता है, तो हम अंडमान-निकोबार के पास चीन के हो रहे जमाव को रोक सकते हैं।
3. इंडोनेशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया में उभरती आर्थिक शक्ति है और मौजूदा वक्त में भारत भी एक वैश्विक ताकत के रूप में सामने आया है। अगर हम इंडोनेशिया के साथ रणनीतिक गठजोड़ बनाते हैं तो चीन से कूटनीतिक सौदेबाजी के वक्त भारत पॉजिटिव साइड में रहेगा।
चीन के सामने चुनौती है सिंगापुर
- "सिंगापुर एक बड़ी मैन्युफेक्चरिंग पावर है। पूर्वी एशिया में अगर चीन के सामने कोई चुनौती है तो वो सिंगापुर है।"
- "चीनी माल के बहिष्कार की बात होती हैं लेकिन भारत डब्ल्यूटीओ नॉर्म के चलते ऐसा नहीं कर सकता। दूसरी तरफ भारत को वो सामान तो मंगाना ही है, फिर वो चाहे चीन से मंगाए या कहीं और से। दूसरी जगह से चीजें मंगाने पर उनकी कीमत ज्यादा हो सकती है। इसका हमारे व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।"
सिंगापुर से भारत को फायदे
1. सिंगापुर दौरे से भारत के उससे व्यापार संबंध मजबूत होंगे।
2. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ है। ट्रम्प की मौजूदा अस्थिर विदेश नीति के चलते हमें प्रशांत क्षेत्र में अन्य सहयोगियों की जरूरत होगी। अगर भारत सिंगापुर, वियतनाम, थाईलैंड, लाओस, मलेशिया को अपने पक्ष में कर लेता है तो भारत मैरीटाइम सिक्युरिटी और ब्लू वॉटर इकोनॉमी को ज्यादा एक्सेस कर सकेगा।
3. सिंगापुर के प्रधानमंत्री रहे ली कुआन ने आसियान के मंच पर ही कहा था कि अगर आसियान को ऊंचाइयों को छूना है तो उसे अपने दोनों पंखों यानी भारत और चीन को शामिल करना ही होगा। यानी सिंगापुर के जरिए भारत आसियान में अच्छी पैठ बना सकता है।
- "सिंगापुर के अच्छे संबंधों से भारत को व्यापार में तो फायदा होगा ही, चीन पर निर्यात की निर्भरता कम होगी।"
- "भारत को शांगरी ला डायलॉग में स्पीच देने के लिए बुलाने का मतलब है कि भारत सरकार और लोगों की कोशिशों से देश का कद जरूर बढ़ा है और मोदी भारत के बढ़ते कद का प्रतिनिधित्व करते हैं।"
दौरे का क्या असर होगा?
- "अगर दक्षिण एशिया को देखें तो भारत केंद्र में दिखाई देता है। भारत तब और बड़ी ताकत बन सकता है जब पड़ोसी देशों को अपने साथ ले आए। ये देश हमारे निकट आने पर सन्निकट पड़ोसी बन जाएंगे। जब हम उनके साथ बेहतर संबंध बना पाएंगे तो वैश्विक शक्ति बनने का रास्ता साफ होगा।"
- "अगर भारत चाहता है कि दुनिया में उसकी बात सुनी जाए तो अपने पड़ोसी देशों के बीच पैठ बनानी होगी।"
- "रूस की नीति है-पिवोट टू एशिया। इसमें रूस चाहता है कि एशिया के देश वॉशिंगटन की बजाय मॉस्को की तरफ देखें। ज्यादातर दक्षिण एशियाई देश चीन से डरे हुए हैं। पहले वे ओबामा में संभावना देखते थे लेकिन ट्रम्प से उन्हें ज्यादा उम्मीद नहीं है। ऐसे में भारत, रूस और बाकी एशियाई देशों के बीच सेतु का काम कर सकता है।"
- "2011 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र को लेकर की गई अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत का क्षेत्र से सीधा संबंध नहीं है लेकिन विश्व की कोई ताकत भारत के बिना वहां अहम रोल अदा नहीं कर सकती।"
पहली बार शांगरी ला डायलॉग में भाषण देंगे मोदी
- विदेश मंत्रालय की सचिव प्रीति सरन के मुताबिक, मोदी 1 जून को सिंगापुर में शांगरी ला डायलॉग में स्पीच देंगे। यह पहला मौका है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को सिंगापुर में संबोधन के लिए बुलाया गया है।
- शांगरी ला डायलॉग 2002 में शुरू हुआ था। इसमें एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख औऱ टॉप अफसर शामिल होते हैं।
- इस दौरान मोदी का फोकस भारत-प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा पर होगा। भारत के पास इस मुद्दे पर अपनी नीतियां दुनिया के सामने रखने का बेहतर मौका है।
पहली बार इंडोनेशिया जा रहे हैं मोदी
- नरेंद्र मोदी का यह पहला इंडोनेशिया दौरा है। वहीं, वे दूसरी बार सिंगापुर पहुंचेंगे। इससे पहले वे नबंवर, 2015 में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के लिए सिंगापुर गए थे।
- मोदी 21 मई को एक दिन के अनौपचारिक दौरे पर रूस गए थे। राष्ट्रपति चुने जाने के बाद व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें न्योता दिया था। मोदी-पुतिन की मुलाकात सोची शहर में हुई।
- 27-28 अप्रैल को मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी अनौपचारिक मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर बात हुई थी।