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जागृति शिविर से जानकारी मिली और महिला अपने पैरों पर खड़ी हो गई "सफलता की कहानी"


 

उज्जैन |  मुसद्दीपुरा उज्जैन निवासी श्रीमती मनीषा उपाध्याय एवं उनके पति बेरोजगारी से जूझ रहे थे। मासिक आय अत्यधिक कम होने के कारण घर संचालन करने में अनेक कठिनाईयां आ रही थी। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा उनके मोहल्ले में एक जागृति शिविर आयोजित किया गया। मनीषा उस शिविर में गई और वहां से जानकारी प्राप्त की कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से रोजगार स्थापित किया जा सकता है।
   मनीषा के पति इसके पूर्व फोटोकापी एवं कम्प्यूटर का काम कर चुके थे। इसलिये उन्हें लगा कि फोटोकापी की दुकान खोल लेना चाहिये। इस सेवा उद्योग की स्थापना के लिये ऋण प्रक्रिया एवं अनुदान आदि की जानकारी जिला हाथकरघा कार्यालय से प्राप्त कर मनीषा ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में ऑनलाइन आवेदन कर दिया। देना बैंक फ्रीगंज शाखा द्वारा श्रीमती मनीषा उपाध्याय के प्रकरण को मंजूरी देते हुए चार लाख रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया। इस राशि से मनीषा ने फोटोकापी मशीन एवं कम्प्यूटर खरीदकर दुकान खोल दी। धीरे-धीरे दुकान चल पड़ी। मनीषा फोटोकापी करती, तो उनके पति कम्प्यूटर चलाकर लोगों का जॉबवर्क करने लगे। धीरे-धीरे आमदनी बढ़ी तो उन्होंने एक सहयोगी भी रख लिया। आज न केवल मनीषा और उसका परिवार रोजगार से जुड़ा हुआ है, बल्कि उन्होंने एक अन्य व्यक्ति को पांच हजार रूपये प्रतिमाह का रोजगार दे रखा है। सभी खर्च एवं 12 हजार रूपये प्रतिमाह ईएमआई निकालने के बाद मनीषा को शुद्ध 15 हजार रूपये प्रतिमाह की आय हो रही है और उनके परिवार का खर्च मजे से चल रहा है। मनीषा का मानना है कि रोजगार करने के लिये मन में इच्छाशक्ति होना चाहिये, कहीं भी सम्पर्क करने से झिझकना नहीं चाहिये। शासन द्वारा हर समय सहयोग किया जाता है, बस बात स्वयं के उठ खड़े होने की है।    

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