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लाडो अभियान के तहत बाल विवाह रूकवाया


उज्जैन । बाल विवाह अभिशाप है। कच्ची उम्र में विवाह करने से बालिकाओं का विकास रूक जाता है तथा इसके गंभीर दुष्परिणाम होते हैं। लाड़ो अभियान के तहत गत 22 मार्च को  बड़नगर तहसील के ग्राम ओरड़ी में दो बच्चों का बाल विवाह रूकवाकर बच्चों को दुष्चक्र में जाने से बचाया गया। लाड़ो अभियान का मुख्य उद्देश्य जन-सामान्य की सोच में परिवर्तन लाते हुए बाल विवाह को खत्म करना है। साथ ही बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार करना है।

महिला सशक्तिकरण विभाग की टीम को 22 मार्च को सूचना आई कि ग्राम ओरड़ी भाटपचलाना उज्जैन में गुपचुप तरीके से बाल विवाह किये जा रहे हैं। शिकायत को तत्काल संज्ञान में लेते हुए बाल विवाह निरोधक दल गांव में जा धमका। दल द्वारा घटना स्थल का दौरा कर मौजूद व्यक्तियों से पूछताछ की गई, जिससे ज्ञात हुआ कि ग्रामीण पदमसिंह चौहान की पुत्री का विवाह रंगाराखेड़ी बदनावर जिला धार के रामचन्द्र डाबी के पुत्र के साथ एवं चरणसिंह पंवार निवासी ग्राम मुरड़का बदनावर जिला धार की पुत्री का विवाह ग्राम ओरड़ी तहसील बड़नगर के निवासी कैलाश चौहान के पुत्र के साथ 25 मार्च को होना तय हुआ है। बाल विवाह निरोधक दस्ते ने प्रस्तावित वर-वधू के दस्तावेज परिवार वालों से मांगे। परिजनों द्वारा प्रस्तुत अंकसूची का अवलोकन किया, जिसके आधार पर चरणसिंह पंवार की पुत्री एवं कैलाश चौहान के पुत्र, जिनका आपस में विवाह होना था, नाबालिग पाये गये। बाल विवाह विरोधी दस्ते द्वारा परिजनों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के प्रावधानों की जानकारी दी गई तथा बताया गया कि बालिका की उम्र विवाह के समय 18 वर्ष एवं बालक की उम्र 21 वर्ष पूर्ण होने पर ही विवाह वैधानिक माना जायेगा। ऐसा नहीं करने पर अधिनियम की धारा 10 एवं 11 के तहत दो वर्ष का कारावास एवं एक लाख रूपये का जुर्माना हो सकता है। इस समझाईश से परिजन सहमत हुए और उन्होंने नाबालिगों का विवाह निरस्त कर दिया। साथ ही यह वादा भी किया कि अब बच्चों का विवाह बालिग होने के बाद ही करेंगे। इस तरह दो विवाह, जो गैर-कानूनी होने जा रहे थे, महिला सशक्तिकरण विभाग की पहल से रूक गये। बाल विवाह रूकवाने में संरक्षण अधिकारी श्री रितेश बघेल, काउंसलर रेखा वासनिक तथा थाना भाटपचलाना के श्री जगदीशसिंह चौहान की प्रमुख भूमिका रही।

उल्लेखनीय है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के प्रावधानों के तहत बाल विवाह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति सजा का भागीदार होता है, चाहे वह विवाह में सेवा देने वाले सेवा प्रदाता ही क्यों न हों। बालिका की 18 से कम एवं बालक की 21 वर्ष से कम उम्र में विवाह किया जाना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह की सूचना कलेक्टर, स्थानीय पुलिस थाना, हेल्पलाइन 1098, महिला हेल्पलाइन 1090 एवं महिला तथा बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, गृह विभाग के अधिकारी को की जा सकती है। बाल विवाह की रोकथाम के लिये उत्कृष्ट कार्य करने वाले 10 व्यक्तियों को प्रतिवर्ष 51 हजार रूपये का पुरस्कार भी दिया जाता है।

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