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सात दिवसीय प्रशिक्षण में दी कृषि के विभिन्न आयामों की जानकारी-प्रशिक्षणार्थियों को वितरित किये प्रमाण पत्र


पिछड़े एवं लघु किसानों को खेती में दिखाया व्यापार 

उज्जैन। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की सहकारी शिक्षा क्षेत्रीय परियोजना द्वारा ग्राम हरियाखेड़ी में कृषि में व्यापारिक दृष्टिकोण विषय के अंतर्गत सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य पिछड़े वर्ग के लघु कृषकों को कृषि लागत एवं कृषि उत्पादन मूल्य से तुलना करना है कि लागत के अनुरूप उत्पादन का मूल्य मिलता है कि नहीं। साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को कृषि के विभिन्न आयामों की जानकारी देना था। प्रशिक्षण के समापन पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये। 
कार्यक्रम के संयोजक प्रेमसिंह झाला ने बताया कि प्रशिक्षण का शुभारंभ प्रभारी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला अधिकारी आर.के. दुबे ने किया। वरिष्ठ उद्यानिकी विकास अधिकारी सुभाष श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बी.के. शर्मा, कालिदास महाविद्यालय के प्रो. डॉ. हरिश व्यास, पशु चिकित्सक उदयवीरसिंह माहोर, प्रशिक्षण समापन के मुख्य अतिथि कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.पी. शर्मा ने प्रशिक्षण दिया। परियोजना अधिकारी चंद्रशेखर बैरागी ने बताया कि पिछड़े एवं लघु कृषक होने के साथ-साथ सभी कृषक असंगठित हैं जिससे इनकी कृषि लागत बढ़ जाती है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य इन्हें सामूहिक कृषि करने के लिए प्रेरित करना एवं कृषि के लिए कार्य कर रहे विभागों की जानकारी देना था क्योंकि कई कृषक एवं ग्रामवासी को योजनाओं की जानकारी तो होती है लेकिन योजना को क्रियान्वयन करने वाले विभाग की जानकारी नहीं होती यही बताने का प्रयास प्रशिक्षण में किया गया। इस प्रशिक्षण में कृपा वेलफेयर सोसायटी के गोपाल गुप्ता एवं पूजा चौहान का सराहनीय सहयोग रहा। 
प्रशिक्षण में यह समझाया
सात दिवसीय प्रशिक्षण में वक्ताओं ने प्रशिक्षणार्थियों को मिट्टी परीक्षण एवं उस परीक्षण के कार्ड के अनुरूप उर्वरकों का उपयोग करने की समझाईश दी। क्योंकि कार्ड में सुक्ष्म तत्व के साथ अन्य मुख्य तत्वों का परीक्षण भी किया जाता है। जिसे हमारी भूमि में कोई तत्व कम हो तो उसे उचित मात्रा में उपयोग कर सकें। वहीं एक साथ कम स्थान में एक से अधिक फसल का उत्पादन करने के वैज्ञानिक तरीके एवं उन फसलों के उत्पादन में होने वाले खर्च को सुनिश्चित आकलन उस फसल के न्यूनतम बिक्री से प्राप्त आय सटिक आकलन समझाया। उर्वरक के उपयोग तरिके एवं लाभ फसलों अनुसार उर्वरकों का चयन कराना सिखाते हुए जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्परिणाम, उनके रोकथाम के तरिके तथा सावधानियां बताई। पशुओं की कृषि उत्पादन में महत्ता तथा कृषि आमदानी बढ़ाने में सहायक, कृषि उत्पाद संगठन (एफपीओ) के लाभ, जैविक कृषि करने के लिए प्रेरित करना तथा उसके लाभ, देशी गाय के गोबर से 24 घंटे में जैविक खाद तैयार करने की विधि बताई।

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