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बिजली पर एक रूपया भी खर्च नहीं, ऑफ ग्रिड सोलर पम्प से पूरा गांव पी रहा है पानी


 

      उज्जैन । कई गांवों में नल जल योजनाएं बिजली का बिल नहीं भरने के कारण बन्द हो जाती हैं। शासन द्वारा जनहित में स्थापित की गई योजनाएं सुचारू रूप से संचालित नहीं होने का कारण बिजली के बकाया बिल होते हैं। ऐसी स्थिति से उज्जैन जिले का ग्राम खड़ोतिया बड़नगर भी गुजर रहा था। गंभीर नदी के किनारे बसे उज्जैन-बड़नगर मार्ग पर स्थित इस ग्राम की लोकेशन देखकर यहां एक निजी कंपनी ने डेमो के रूप में सोलर पम्प लगाने हेतु ग्राम पंचायत के सरपंच से सम्पर्क किया। सरपंच एवं ग्रामवासियों को सहज इस बात पर भरोसा नहीं हुआ कि बिना बिजली के तारों के भी बिजली मिल सकती है और बिना कोई बिल भरे उन्हें निरन्तर पानी मिल सकता है। कंपनी द्वारा की गई इस पहल से गांव में तीन हॉर्स पावर क्षमता की सोलर प्लेट्स लगाई गई और ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम से पम्प को जोड़ दिया गया।

      सोलर पम्प को इंस्टाल हुए आज लगभग सात वर्ष बीत चुके हैं। बिना बाधा के, बिना बिजली के बिल भरे पूरा गांव पानी पी रहा है। यही नहीं गांव के छोटे-मोटी शादी एवं नुक्ते घाटों में एकत्रित होने वाले जन-समुदाय के लिये भी पर्याप्त मात्रा में पेयजल सप्लाई किया जा रहा है। लगभग 1500 की आबादी का यह गांव सोलर पम्प के कारण पेयजल वितरण में आत्मनिर्भर हो गया है। गांव के सरपंच श्री बनेसिंह उत्साह से बताते हैं कि शुरू-शुरू में उन्होंने गांव में चौबीस घंटे जल वितरण का काम शुरू किया, किन्तु पानी का अपव्यय होने के कारण ग्राम सभा में निर्णय लिया गया कि सुबह दो घंटे व शाम दो घंटे नल के माध्यम से पेयजल वितरण किया जायेगा। ग्रामीण इस व्यवस्था से अत्यन्त प्रसन्न हैं। सौर ऊर्जा से दिनभर मोटर चलती है। मनचाहे समय में टंकी को भर लिया जाता है और वितरित कर दिया जाता है। बिजली के बिल से मिली इस आजादी का लुत्फ ग्राम के सभी लोग ले रहे हैं। पेयजल वितरण का सर्वाधिक लाभ गांव की महिलाओं को मिल रहा है। ग्रामीण महिला राजूबाई बताती हैं कि पहले दूर से हैण्ड पम्प से पानी लाना पड़ता था, अब घर बैठे दिन में दो बार पानी मिलता है। कक्षा 9वी में पढ़ रही रीता बताती हैं कि उन्हें मीठा पानी लाने कहीं दूर नहीं जाना पड़ता है। सोलर एनर्जी के इस तरह के लाभ लेकर न केवल ग्राम पंचायत के पदाधिकारी, बल्कि ग्रामीण प्रसन्न हैं। उन्हें पृथक से कोई बिल नहीं भरना पड़ता है।

सोलर पम्प लगाने पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है

      गांव में कृषि कार्य के लिये सोलर पम्प लगाने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना प्रारम्भ की गई है। योजना का लाभ लेने के लिये किसानों के पास स्वयं का जलस्त्रोत होना आवश्यक है। आवेदन कृषि कल्याण विभाग एवं जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी के पास किया जा सकता है। यह योजना ऐसे दूर-दराज के क्षेत्रों के लिये भी क्रियान्वित की जा रही है, जहां पर विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं हो सका है और कृषि पम्पों के स्थाई विद्युत कनेक्शन नहीं है।

सोलर पम्प की लागत

कृषि कार्य के लिये सोलर पम्प की स्थापना पर किसानों को 3 एच.पी. तक के सोलर पम्पों पर 90 प्रतिशत तथा 3 से 5 एच.पी. तक के लिये 85 प्रतिशत अनुदान प्राप्त होगा। जबकि 5 एच.पी. से अधिक क्षमता के सोलर पम्प पर 5 एच.पी. के लिये निर्धारित राज्य अनुदान एवं केन्द्रांश ही लागू होगा। इस प्रकार हितग्राही को एक एच.पी., डी.सी. सब-मर्सिबल पम्प के लिये 17 हजार 500 रुपये, 2 एच.पी. डी.सी. सरफेस पम्प के लिये 20 हजार रुपये, 2 एच.पी. डी.सी. सब-मर्सिबल पम्प के लिये 23 हजार 500 रुपये, 3 एच.पी. डी.सी. सब-मर्सिबल पम्प के लिये 34 हजार रुपये, 5 एच.पी. डी.सी./ए.सी. सब-मर्सिबल पम्प के लिये 68 हजार रुपये, 7.5 एच.पी./ए.सी. सब-मर्सिबल पम्प के लिये 2 लाख 60 हजार रुपये, 10 एच.पी. डी.सी. सब-मर्सिबल पम्प के लिये 4 लाख 68 हजार रुपये तथा 10 एच.पी. ए.सी. सब-मर्सिबल पम्प के लिये 3 लाख 57 हजार रुपये मात्र देने होंगे। योजना की विस्तृत जानकारी www.mpcmsolarpump.com से प्राप्त की जा सकती है।

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