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आर्य समाज ने प्रभातफ़ेरी देवयज्य के साथ मनाया स्थापना दिवस


मानव वेद एवं सृष्टि उत्पत्ति का पर्व है नवसंवत्सर- डॉ. शैलेन्द्र शर्मा

उज्जैन। मेकाले की शिक्षा पद्धति के कारण आज हम अपनी मूल वैदिक संस्कृति
से दूर हो गये है व हमने हमारे गौरवशाली अतीत को भुला दिया है। स्वयं के
समाज के व राष्ट्र की उन्नति के लिये हमको आज पुनः हमारी आर्य संस्कृति
सत्य सनातन वैदिक धर्म की और लौटना होगा।
उक्त विचार विक्रम विवि के कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र शर्मा ने
नवसंवत्सर पर्व पर आर्य समाज मंदिर उज्जैन मे व्यक्त किये। प्रारम्भ में
प्रातःकाल प्रभातफेरी नगर के प्रमुख मार्गाे से निकाली गयी। पश्चात विशेष
आहुतियो से देवयज्य किया गया। कार्यक्रम के अतिथियो द्वारा दीप
प्रज्वल्लन कर वेदाचार्य पंडित उमेश शास्त्री द्वारा वेदमंत्रों द्वारा
वरिष्ठ अभिभाषक बीएल पंडया व पुस्तकाध्यक्ष अंबाराम वर्मा का स्मृति
चिन्ह व शाल श्रीफ़ल से सम्मान किया गया। भजन ओमदत्त आर्य, कवि प्यारेलाल
आवारा, हंसा चतुर्वेदी, रेखा उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत किये गये। संचालन
ललित नागर ने किया व आभार रामप्रसाद मालाकार ने माना। शांति पाठ वैदिक
जयघोष व ऋषिलंगर के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। इस अवसर पर बडी संख्या में
वैदिक धर्मालुजन उपस्थित थे।

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