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नए उज्जैन में भी हुआ सामूहिक सूर्य अर्घदान समारोह



पैशाचिक वृत्तियों से निर्मित परिस्थितियाँ महाकाल को कतई स्वीकार नहीं- महाकालेश्वर   
उज्जैन। इन दिनों मानवीय अंतःकरण तो पैशाचिक वृत्तियों का घर सा बन गया है। जिसके दुष्परिणाम सामने हैं। ये परिस्थितियाँ, यह निकृष्ट बातावरण महाकाल को सृष्टि नियामक सत्ता को कतई स्वीकार नहीं है। विश्व में छायी इन परिस्थितियों का समूल नाश कर सद्भावों व सत प्रवृत्तियों से सजा वातावरण निर्मित करने की जवाबदारी गायत्री परिवार निभा रहा है। इसी उद्देश्य से यह संस्कृति संवर्धक कार्य किया गया है। 
यह उदगार उपक्षोन समन्वयक महाकालेश्वर श्रीवास्तव ने कालिदास अकादमी कोठी रोड परिसर स्थित कमल सरोवर पर सामूहिक सूर्य अर्घदान समारोह में व्यक्त किए। आयोजक के प्रयोजन को बताते हुए डॉ. शशिकांत शास्त्री ने भारतीय नववर्ष विक्रम संवत की महत्ता बताई। आपने शक्ति संरक्षण वर्ष में सविता देवता की आराधना के लिए गायत्री महामंत्र जप करने के लिए उपस्थित श्रद्धालुओं को संकल्पित कराया। उज्जैन नगर के नए क्षेत्र में संस्कृति संवर्धन के लिए यह विशिष्ट आयोजन पिछले वर्ष से आरंभ किया गया था। इस वर्ष भी 18 मार्च वर्ष प्रतिपदा संवत 2075 को सुबह 6 बजे सैकड़ों लोगों ने नववर्ष में सूर्य की प्रथम किरणों के दर्शन के साथ सूर्य अर्घदान किया। सामूहिक प्रार्थना के साथ युगऋषि वेदमूर्ती तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की आवाज के साथ गायत्री महामंत्र का सामूहिक उच्चारण, सूर्य नमस्कार का प्रदर्शन तथा जिया रणधवल द्वारा गायत्री स्तवन के साथ नृत्य आयोजन के आकर्षण थे। पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशिमोहन श्रीवास्तव, माधव नगर चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. विनोद गुप्ता, चंद्रशेखर वशिष्ठ ने भारतीय नववर्ष, गुड़ीपड़वा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए शुभकामनाएं व्यक्त कीं। अतिथि सत्कार सुभाष गुप्ता, यशवंत भार्गव, मोहनसिंह हिंगोले, रमेशचंद्र लेबे एवं उर्मिला तोमर ने किया। मंत्रोच्चारण एम एल रणधबल, माधुरी सोलंकी तथा मंजु त्रिपाठी ने किया। संचालन शिखा शर्मा ने किया तथा आभार जिला समन्वयक देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने माना। समारोह के बाद नीम का रस और मिश्री का वितरण भी किया गया, इसके लिए लोग बहुत देर तक आते रहे। नीम का रस और मिश्री वितरण की व्यवस्था गायत्री शक्तिपीठ अंकपात द्वार उज्जैन पर भी कई गई थी। 

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