नारी सारे संसार में शक्ति के रूप में अनादिकाल से व्याप्त –डॉ.राजपुरोहित
महिला सशक्तिकरण की शुरूआत कन्या भ्रूण सशक्तिकरण से होना बेहद जरूरी
विक्रमोत्सव के अन्तर्गत महिला सशक्तिकरण पर परिचर्चा आयोजित
उज्जैन । विक्रमोत्सव के चौथे दिन गुरूवार को शासकीय कन्या स्नातकोत्तर
महाविद्यालय में महिला सशक्तिकरण पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
विक्रमादित्य शोध संस्थान के निदेशक डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित और विशिष्ट अतिथि श्रीमती
कलावती यादव थीं। कार्यक्रम के संयोजक डॉ.उमा वाजपेयी थीं। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.उल्का
यादव ने परिचर्चा की अध्यक्षता की। बतौर वक्ता चिकित्सक डॉ.जया मिश्रा एवं डॉ.शशि जोशी को
आमंत्रित किया गया। शासकीय कालिदास कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.महेश शर्मा भी कार्यक्रम
में मौजूद थे।
विक्रमोत्सव में अपनी विशेष भूमिका का निर्वहन करते हुए पुरातत्वविद डॉ.प्रशान्त पौराणिक
और विक्रम विश्वविद्यालय के डॉ.रमण सोलंकी ने अतिथियों का स्वागत किया। स्वागत भाषण प्राचार्य
डॉ.उल्का यादव द्वारा दिया गया।
डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नारी सारे संसार में
शक्ति के रूप में अनादिकाल से व्याप्त है। विक्रमादित्य उज्जैन के एक लोकप्रिय शासक थे। उनके
कालखण्ड के सिक्कों और मुद्राओं में नारी सम्मान का सन्देश दिया गया है। सभी शासकों के लिये
सम्राट विक्रमादित्य एक आदर्श हैं। उनके यश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से ही विक्रमोत्सव
का शुभारम्भ किया गया। शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा विक्रमोत्सव में कलश
यात्रा, विक्रमादित्य की गौरवगाथा का गायन एवं महिला सशक्तिकरण पर परिचर्चा आयोजित कर
अतुलनीय और प्रशंसनीय योगदान दिया गया है।
डॉ.राजपुरोहित ने कहा कि देवी दुर्गा कई रूपों में संसार में दृश्य और अदृश्य रूप में व्याप्त
है। उनकी शक्ति के माध्यम से कई बाधाओं का विनाश किया गया है। जैसे देवी दुर्गा द्वारा पूर्व में
राक्षस रक्तबीज का विनाश किया गया, वर्तमान समय में ऐसे कई रक्तबीज आज देश में उत्पन्न हो
चुके हैं, जिनका नारी शक्ति द्वारा विनाश किया जाना जरूरी है।
चिकित्सक एवं सर्जन डॉ.जया मिश्रा ने परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि
महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को मुख्य रूप से सम्मिलित किया
जाना चाहिये। वर्तमान में नारियों को उनकी शक्तियों और सामर्थ्य का समय-समय पर स्मरण कराना
पड़ता है। प्राचीनकाल में नारियों को विशेष वैभव प्राप्त था, परन्तु वर्तमान समय में कन्या भ्रूण हत्या
से लिंग अनुपात में चिन्ताजनक गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि यदि महिला सशक्तिकरण करना है
तो उसकी शुरूआत कन्या भ्रूण सशक्तिकरण के साथ होना बहुत जरूरी है। हमारे समाज में नारियों
को श्री माना गया है। महिलाओं की सुरक्षा पर भी वर्तमान समय में विशेष ध्यान दिये जाने की
आवश्यकता है।
कार्यक्रम में श्रीमती कलावती यादव एवं डॉ.शशि जोशी द्वारा भी महिला सशक्तिकरण पर
विशेष और प्रेरणात्मक उद्बोधन दिये गये।