घुमक्कड़ गाड़ोलिये लोहार परिवार को पहली बार पक्का स्थाई आवास मिला
सरकार की उमर लम्बी हो -सुवाबाई
उज्जैन । जीवनभर खेती-किसानी के लोहारी काम करते हुए बैलगाड़ी से यहां-वहां भटकते रहे, कोई स्थाई आसरा नहीं था। ग्राम रूणिजा में बड़नगर में लोग अच्छे दिखे, काम धंधा चला, तो यहीं झोपड़ा बनाकर 30 साल से रह रहे थे। सपने में नहीं सोचा था कि पक्की छत भी कभी नसीब होगी। सामाजिक आर्थिक सर्वे सूची में नाम जुड़ने से सुवाबाई और बद्रीलाल का परिवार प्रधानमंत्री आवास के लिये पात्र पाये गये। आवास योजना के तहत उनको आवास स्वीकृत हो गया। एक लाख 38 हजार की लागत से पक्का मकान बन गया है। पूरा परिवार अब इस मकान में खुशी-खुशी रह रहा है। परिवार की महिला सदस्य सुवाबाई की खुशी छुपाये नहीं छुपती है। वे अपने ठेठ राजस्थानी अन्दाज में कहती है "सरकार ने पक्को मकान बणई ने दई दियो, इससे बड़ी बात कईं होवे, सरकार की उमर लम्बी हो।"
गाड़ोलिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बद्रीलाल पिता नाथूजी कहते हैं कि पक्की छत मिलना उनके लिये मानो एक सपने के सच होने के समान है। पहले टीन की छत बारिश में टपकती थी, तो गर्मी में रहना मुश्किल था। अब गई बारिश में बहुत ही आनन्द से समय व्यतीत हुआ है। उत्साह से भरे बद्रीलाल छत पर एक कमरा और अपने पैसे से बना रहे हैं। यह पूछने पर कि अब इस पर कितना पैसा खर्च कर रहे हो, तो वे कहते हैं कि "हिसाब-किताब कौन रखे, जैसे-जैसे आमदनी होगी, बना लेंगे।" प्रधानमंत्री आवास योजना में निश्चित रूप से हितग्राहियों की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं। जितना हिस्सा सरकार बनाकर दे रही है, उतना ही हिस्सा हितग्राही अपनी ओर से पैसा लगाकर घर को विस्तार दे रहे हैं। एक अकेली ऐसी योजना, जिसमें केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों का पैसा लगा है, उज्जैन जिले में फलीभूत होती दिख रही है। रूणिजा में नाथूलाल के अलावा गाड़ोलिया समुदाय के दो और लोगों को भी प्रधानमंत्री आवास मिले हैं।
उल्लेखनीय है कि नाथूलाल ने सड़क किनारे जब अपना झोपड़ा ताना था, तब उन्हें उम्मीद नहीं थी कि यहां से रतलाम को जोड़ने वाली टूलेन सड़क गुजरेगी। अब मेन रोड पर उनका प्रधानमंत्री आवास खड़ा है। सरकार ने भूमि का पट्टा तो दे ही दिया है। इस तरह उनके मकानों की कीमत लागत से कई गुना बढ़ गई है। इतने मौके की जमीन पर प्रधानमंत्री आवास कम ही दिखाई पड़ते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना की बदौलत ही आज घुमक्कड़ जाति के लोग अपना स्थाई आवास बनाकर शान्तिपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।