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प्राथमिक शालाओं के पाठ्यक्रम में शामिल होंगी रोचक, ज्ञानवर्धक कहानियां


 

उज्जैन। प्रदेश की सरकारी प्राथमिक शालाओं में शिक्षण कार्य को और अधिक
प्रभावी, रोचक तथा ज्ञानवर्धक बनाने के लिये अगले शिक्षण सत्र से कहानियों का उपयोग किया
जाएगा। राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा प्रदेश के सभी 51 जिलों में जिला परियोजना समन्वयकों के माध्यम
से स्थानीय भाषा का समावेश करते हुए कहानियों के संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। संग्रहित
कहानियों का उपयोग बच्चों को पढ़ाये जाने वाले पाठयक्रम में किया जायेगा। इस संबंध में राज्य
शिक्षा केन्द्र के संचालक श्री लोकेश जाटव ने जिला समन्वयकों को पत्र लिखकर संकलित कहानियां
15 मार्च तक अनिवार्य रूप से राज्य कार्यालय में भेजने के निर्देश दिए हैं।
राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिला समन्वयकों से कहा है कि कक्षा में शिक्षण कार्य को रोचक बनाने
और मातृभाषा का अधिक उपयोग करने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष प्रयास किये जाएं। जिले में
स्थानीय भाषा एवं बोली की कहानियों के संग्रहण पर विशेष ध्यान दिया जाये। कहानी संग्रहण में
डाइट का भी सहयोग लिया जाए। बताया गया है कि चयनित कहानियों का शिक्षण कार्य में ऑडियो-
विडियो तकनीक से उपयोग किया जाएगा। संग्रहित बाल कहानियों को बच्चे अच्छी तरह से समझ
सकें, इसके लिए जिले में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा उर्दू, बुन्देली, सहरिया, भीली, कोरकू,
मालवी, निमाढ़ी, गौड़ी, बैगा और बघेली का भी उपयोग किया जायेगा।
देश भर में राष्ट्रीय पाठ्यचार्य में अनुशंसा की गयी है कि प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में बच्चों
का सीखना-सिखाना रोचक हो। जहाँ तक सम्भव हो, बच्चे की मातृभाषा का उपयोग किया जाये। प्रदेश
में कहानी संकलन का कार्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा &quot;पढ़े भारत-बढ़े भारत&quot; कार्यक्रम के अंतर्गत
किया जा रहा है। प्रदेश में 83 हजार 890 सरकारी प्राथमिक शालाओं में करीब 45 लाख 60 हजार
बच्चे अध्यनरत हैं।

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